Why did Khairagarh by-election become a battle of credibility?

वादों-इरादों की जंग…चुनाव के कितने रंग! खैरागढ़ उपचुनाव क्यों बनी साख की लड़ाई?

चुनाव के कितने रंग! खैरागढ़ उपचुनाव क्यों बनी साख की लड़ाई? Why did Khairagarh by-election become a battle of credibility?

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : April 4, 2022/11:00 pm IST

रिपोर्ट- राजेश मिश्रा, रायपुर: battle of credibility? खैरागढ़ में कहने को तो उपचुनाव है और इसके हार-जीत से सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस को जीत से कम कुछ मंजूर नहीं। कांग्रेस ने खैरागढ़ की जनता से वादा किया है कि अगर कांग्रेस प्रत्याशी जीतती है तो 24 घंटे के भीतर खैरागढ़ जिला बनेगा। दूसरी ओर बीजेपी भी खैरागढ़ के गढ़ को जीतने तमाम पैंतरे और चालें चल रही है। खैरागढ़ उपचुनाव क्यों बनी साख की लड़ाई? चुनाव प्रचार की जंग में किसने ली बढ़त?

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battle of credibility? कांग्रेस के लिए साख का सवाल बन चुकी खैरागढ़ में सीएम भूपेश बघेल ने कांग्रेस के लिए मोर्चा संभाल लिया। पहले ही दिन मुख्यमंत्री ने बीजेपी प्रत्याशी कोमल जंघेल के गढ़ छुईखदान में चुनाव प्रचार किया। बकरकट्टा, साल्हेवारा, पैलीमेटा इलाके में सभा के दौरान सीएम ने कांग्रेस प्रत्याशी के लिए वोट मांगा और बीजेपी और रमन सरकार पर खैरागढ़ की जनता के साथ उपेक्षा करने का आरोप लगाया।

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कांग्रेस के लिए केवल मुख्यमंत्री के अलावा 40 से ज्यादा विधायक खैरागढ़ के चुनावी मैदान में डटे हुए हैं, जो सरकार के तीन साल की उपलब्धियों और कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर यशोदा वर्मा जीतती है तो 24 घंटे के अंदर खैरागढ़ जिला बनेगा।

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दूसरी ओर बीजेपी ने भी अपने सभी नेताओं को खैरागढ़ में झोंक दिया है। लोधी वोटर्स को साधने बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को अपना स्टार प्रचारक बनाया है। 6 और 7 अप्रैल को प्रह्लाद पटेल बीजेपी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। 8 अप्रैल को सीएम शिवराज भी खैरागढ़ आएंगे। इसके अलावा सिंधिया और उमा भारती को लाने की कोशिश हो रही है। बीजेपी ने जनता तक अपनी बात पहुंचाने हर वर्ग के लिए अलग-अलग पंपलेट जारी किया है।

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कुल मिलाकर खैरागढ़ में चुनाव प्रचार ने पूरी रफ्तार पकड़ ली है। वादे-दावे और आरोप प्रत्यारोप के जरिए एक दूसरे की घेराबंदी की पुरजोर कोशिश जारी है। साख की लड़ाई में बाजी वही जीतेगा, जिसपर खैरागढ़ की जनता भरोसा जताएगी।

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