रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति में इन दिनों कुछ अच्छा नहीं चल रहा। बीते कुछ वक्त से कांग्रेस नेताओं के बयानों और उनके कार्यो से ये जाहिर भी होता है। ताजा मामला अंबिकापुर जिला कांग्रेस कार्यालय के उद्घाटन को लेकर है, जहां स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के फीता काटने के बाद खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने अपने समर्थकों के साथ फीता काटा। उधर बृहस्पत सिंह के डिप्टी कलेक्टर के साथ कथित विवाद में पीसीसी कांग्रेस अध्यक्ष और टीएस सिंहदेव के बयानों में भी एकरूपता नहीं दिखी। चिंतामणि महाराज का बयान भी बृहस्पत सिंह के व्यवहार पर सवाल खड़े कर रहा है। अब सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के बयानों में विरोधाभाष क्यों है? बड़ा सवाल ये भी कि अंबिकापुर में टीएस सिंहदेव और अमरजीत भगत ने एक साथ फीता क्यों नहीं काटा?
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सरगुजा में 17 साल बाद अम्बिकापुर के घड़ी चौक में बने कांग्रेस कार्यालय का उद्घाटन राजीव गांधी की जयंती के मौके पर हुआ। पहले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने करीब 1 बजे फीता काटा, तो डेढ़ घंटे बाद करीब ढाई बजे खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने भी अपने समर्थकों के साथ फीता काटा। लेकिन माहौल उस वक्त गरमा गया, जब कांग्रेस कार्यालय के अंदर दोनों मंत्री एक साथ थे और उनके समर्थकों ने अपने-अपने नेताओं का नाम लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। अंबिकापुर से जो बातें सामने आई, उससे राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठ रहे हैं। मसलन जब कार्यक्रम एक हफ्ते पहले से निर्धारित था, तो फिर दोनों मंत्रियों के बीच फीता काटने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई थी। सवाल ये भी कि क्या प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने फीता काटने का आधिकारिक जिम्मा किसे सौंपा था? हालांकि घटना को लेकर टीएस सिंहदेव ने नाराजगी जताई, तो अमरजीत भगत ने इसे कार्यकर्ताओं का उत्साह बताया।
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इससे पहले अंबिकापुर में कांग्रेस भवन के लोकार्पण कार्यक्रम के दो-दो आमंत्रण पत्र भी बांटे जाने की खबर आई थी। अमरजीत भगत गुट ने आमंत्रण पत्र छपवा कर कार्ड बंटवाया था तो वहीं जिला कांग्रेस कमेटी में टीएस सिंहदेव गुट के लोगों ने डिजिटल आमंत्रण बांटा था। कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने भी डिजिटल तरीके से बांटे जा रहे आमंत्रण पत्र को वैध बताया था। सरगुजा में राजीव भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में दो-दो मंत्रियों का फीता काटने की घटना ने बीजेपी को भी बैठे बिठाए सत्तारूढ़ कांग्रेस को घेरने के लिए मुद्दा दे दिया।
2018 में प्रचंड बहुमत से सत्ता में लौटी कांग्रेस वैसे तो अबतक एकजुट नजर आई है, लेकिन बीते कुछ महीनों में ऐसी कुछ घटनाएं सामने आईं जो इशारा कर रही है कि कांग्रेस में कुछ ठीक नहीं चल रहा। अब जब सरगुजा संभाग से आने वाले कांग्रेस के 2 कद्दावर मंत्रियों के बीच आपसी तालमेल की कमी नजर आना कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी जरूर है, क्योंकि सरगुजा की 14 सीटों की सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
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