CG Ki Baat: बस्तर मांगे ‘संपूर्ण सफाई’..खात्मे से पहले न रुके लड़ाई! बस्तर के लोग क्यों नक्सलियों से शांति समझौता के पक्ष में नहीं है? देखिए पूरी रिपोर्ट

CG Ki Baat: बस्तर मांगे 'संपूर्ण सफाई'..खात्मे से पहले न रुके लड़ाई! बस्तर के लोग क्यों नक्सलियों से शांति समझौता के पक्ष में नहीं है? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - May 1, 2025 / 11:32 PM IST,
    Updated On - May 1, 2025 / 11:32 PM IST

CG Ki Baat | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • सरकार ने नक्सलियों से बातचीत की संभावना को नकारा, और मार्च 2026 तक उनके खात्मे की डेडलाइन तय की।
  • बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर नक्सलियों से शांति वार्ता की प्रक्रिया को रोकने की अपील की।
  • 15 महीने में 400 से ज्यादा नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए, और नक्सलियों के शीर्ष नेता अब खुद को बचाने के लिए पत्र लिख रहे हैं।

रायपुर: सुरक्षा बल की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद नक्सलियों के टॉप लीडर्स तक के लिए जान बचाना मुश्किल हो गया है। कभी खुद की पैरलल सरकार चलाने वाले नक्सली अब खुद को बचाने 5 बार सरकार को पत्र लिखकर सीजफायर की गुहार लगा चुके हैं। जब इससे भी बात ना बनी तो कुछ अलग-अलग चैनल्स के जरिए शांति वार्ता का राग अलाप रहे हैं। हालांकि सरकार ये साफ कर चुकी है कि बात शांति वार्ता से बहुत आगे बढ़ चुकी है। इसी बीच पहली बार बस्तर के लोगों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि नक्सलियों से अब कोई समझौता ना करें। पीड़ितों ने सवाल उठाया कि आज जिन नक्सलियों अमन की याद आ रही है वो तब क्या कर रहे थे जब उनके आतंक से पूरा बस्तर लाल कॉरिडोर बना हुआ था?

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राजधानी रायपुर में राजभवन के सामने खड़े बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री जी से मिलकर एक ही गुहार लगाई कि, हमने जो नक्सल हिंसा का दंश झेला, उसे आगे कोई ना झेले उसके लिए जरूरी है कि बस्तर में एंटी नक्सल ऑपरेशन जारी रहें और नक्सलियों से कोई शांति वार्ता ना की जाए। नक्सल पीड़ितों ने इसी मांग वाला ज्ञापन भी सौंपा। नक्सल पीड़ितों की मांग का सरकार ने सीधे-सीधे समर्थन किया।

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दरअसल, नक्सलियों के खात्मे की डेडलाइन मार्च 2026 तय है, ताबड़तोड़ एंटी नक्सल ऑपरेशन्स के चलते बड़े नक्सली लीडर्स अपने ही ठिकाने में सेफ नहीं हैं। तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा की पहाड़ पर टॉप नक्सल लीडर्स को, फोर्स के 10-20 हजार जवान चौतरफा घेरे हुए हैं। जिसके बाद नक्सली महीने में 5-5 पत्र जारी कर सरकार से युद्ध विराम की मिन्नतें कर रहे हैं। रविवार को शांतिस समिति नेताओं ने हैदराबाद में तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी से मुलाकात की, सोमवार को रेवंत रेड्डी ने इस बारे में केंद्र से बात करने कुछ मुलाकातें भी कीं दूसरी तरफ तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री KCR ने बस्तर में नक्सलियों के मारे जाने तो आदिवासियों का नरसंहार बताते नजर आए। नक्सलियों के बचाव में आगे आए तेलंगाना के नेताओं को प्रदेश के गृहमंत्री ने आड़े हाथ लेते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी।

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छत्तीसगढ़ में पिछले 15 महीने में करीब 400 नक्सली मुठभेड़ में ढेर हुए हैं, जिसमें अधिकांश छत्तीसगढ़ के हैं और इन्हें ऑपरेट करने वाले बड़े नक्सल लीडर्स आंध्रप्रदेश या तेलंगाना से हैं। जिन्हें अब अपना अंत नजर आने लगा है। इसीलिए जो इतने सालों में ना हुआ वो अब हो रहा है महीने भर में 5-5 पत्र लिखे जा रहे हैं, हद ये कि इसके लिए शांति समितियां अब हरकर में आई हैं। सवाल है क्या अब बहुत देर नहीं हो चुकी। अब नक्सल लीडर्स और उनके साथी नेता एक्सपोज हो चुके हैं।

नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई कितनी प्रभावी रही है?

सुरक्षा बलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई के कारण छत्तीसगढ़ में पिछले 15 महीनों में करीब 400 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए हैं, जो सुरक्षा बलों की सख्ती को दर्शाता है।

नक्सलियों के साथ शांति वार्ता क्यों नहीं हो रही है?

राज्य सरकार और सुरक्षा बलों का कहना है कि नक्सलियों ने जो आतंक फैलाया है, उसकी वजह से अब शांति वार्ता की गुंजाइश नहीं बची है। इसके बजाय उनका खात्मा ही प्राथमिकता है।

क्या बस्तर में नक्सलियों की गतिविधियों पर असर पड़ा है?

बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ लगातार सुरक्षा बलों की कार्रवाई के कारण उनकी गतिविधियाँ काफी हद तक कम हो गई हैं और अब उनके लिए सुरक्षित ठिकाने भी नहीं बचें।