CG Ki Baat | Photo Credit: IBC24
रायपुर: CG Ki Baat भारतमाला प्रोजेक्ट के नाम पर चली अंधेरगर्दी की परतें जैसे जैसे खुल रही है। वो हैरान कर रही है। करप्शन की दलदल में गहरे तक धंसे सिस्टम की सच्चाई हैरान करने वाली है। अफसरों ने किस तरह जालसाजों के साथ साझेदारी की। ये जानकर होश उड़ जाते हैं। इस खेल का हर पन्ना हैरान कर देता है। करप्शन की ये काली कहानी को कैसे समझें और कैसे समझाएं। सिवाय ये कहने की कि बस एक ही उल्लू काफी है बरबाद गुलिस्तां करने को। जब हर साख पे उल्लू बैठा हो तो अंजामे गुलिस्तां क्या होगा।
CG Ki Baat भारतमाला प्रोजेक्ट में करोड़ों के मुआवजा घोटाले की जांच में मास्टरमाइंड के तरह-तरह के कारनामे खुल चले हैं। तत्कालीन SDM निर्भय साहू को मुआवजा देने की इतनी हड़बड़ी थी कि, साहब ने इसके लिए नियम-कायदों को ताक पर रखकर NH-30 के मद की राशि निकाल कर मुआवजा बांट दिया। क्योंकि, मुआवजे में हर किसी का कट, कमीशन फिक्स था। साहब ने राष्ट्रीय राजमार्ग के मद से 2 करोड़ 16 लाख रुपए निकाले। दूसरा मुआवजा भी फर्जी नामों और लोगों को बांटा गया, जैसे ‘श्री जैतूसाव मठ’ की जमीन की वारिस स्वर्गीय उमा तिवारी की जगह दूसरी महिला को खड़ा कर मुआवजा उन्हें दिया गया।
तीसरा जल्द और दूसरे मद से मुआवजा क्यों देना पड़ा इसके लिए बकायदा 12 जुलाई 2023 को 5 पन्नों की नोटशीट चलाई गई जिसमें सरकार को गुमहार करने बताया गया कि ग्रामीण मुआवजा राशि ना मिली तो बड़ा आंदोलन कर प्रोजेक्ट में रोड़ा बन सकते हैं, उन्हें मुआवजा देना जरुरी है। इसके बाद मठ की जमीन के मुआवजे के तौर पर लगभग 40-40 लाख रुपए हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी और किसी राम कुमार के खाते में ट्रांसफर किए गए। ये भी सामने आया कि इसी दौरान आरोपी तत्कालीन SDM निर्भय साहू ने 30 लाख रुपए के खरीदे सोने के बिस्किट मामले में अब चारों आरोपी हिरासत में हैं।
इसके अलावा इस घोटाले में आरोपी निलंबित अधिकारियों और भूमाफिया की सांठगांठ भी सामने आई है। घाटाले के आरोप में सस्पेंडेड तहसीलदार शशिकांत कुर्रे ने अपनी पत्नी भावना कुर्रे को मंदिर की जमीन में, आरोपी हरमीत सिंह खनूजा के साथ फर्म पार्टनर शो किया, शुक्रवार को जब EOW ने तेलीबांधा वॉटर फ्रंट में, आरोपी हरमीत की फर्म दशमेश इंस्टावेंचर प्राइवेट लिमिटेड के आफिस को सील किया तो पाया कि फर्म में हरमीत खनूजा, आशीष तिवारी के साथ तहसीलदार शशिकांत कुर्रे की पत्नी भावना भी पार्टनर हैं। इतना ही नहीं आरोपी हरमीत की पत्नी मनप्रीत खुद भी तहसीलदार हैं यानि की फर्जी मालिक, फर्जी फर्मों के जरिए मुआवजे का खेल खेलने सरकारी अफसरों ने अपने रिश्तेदारों को पार्टनकर बनाने में भी संकोच नहीं किया।
इधर, कांग्रेस घोटाले की जांच ACB/EOW के बजाय CBI से कराने की बात दोहरा रही है, तो सत्तापक्ष का दावा है जिसने भी घोटाला किया, सब नपेंगे। साफ है कि वक्त कांग्रेस सरकार का रहा हो या बीजेपी सरकार का बड़े, महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में भी जिम्मेदार सरकारी अफसरों ने करप्शन और बंदरबांट के लिए सौ-सौ तरीके इजाद किए। सवाल ये है कि क्या वाकई एक-एक जिम्मेदार नपने वाला है?