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प्रकाश नाग की रिपोर्ट…
केशकाल: Keshkal News: छत्तीसगढ़ सहित पूरे विश्व में ऐसी कोई स्थान नहीं होगा जहां पर लोग जिस आस्था के साथ देवी देवताओं को पूजा करते हैं उन्ही देवी देवताओं को सजा भी मिलती होगी। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिला अंतर्गत केशकाल में सदियों से देवी देवताओं की अदालत लग रही है व हर साल देवी देवताओं को सजा भी मिलती है।
Keshkal News: राष्ट्रीय राजमार्ग 30 केशकाल के 10 मोड़ो वाली सर्पिलाकार घाटी के ठीक ऊपर टाटामारी पर्यटन मार्ग में स्थित भंगाराम देवी दरबार पर देवी देवताओ की आज दिन शनिवार को जात्रा होगी। आदिम संस्कृति में कई व्यवस्थायें ऐसी है जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जिन देवी देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना की जाति है उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है। यहां पर देवी देवताओं से वर्ष भर में किये गये कार्यों का हिसाब किताब लेखा-जोखा होता है। वहां पर देवी देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर उसे सजा सुनाई जाती है। जिस तरह से आमतौर पर शासकिय सेवक को निलंम्बन -बर्खास्तगी और गंभीर अक्षम्य अपराध पर सजाये मौत की सजा सुनाया जाता है। उसी तरह यंहा देवी देवताओं को भी दोष सिद्ध होने पर अपराध अनुकूल सजा का सामना करना पड़ता है। वहीं देवताओं के कार्य ठीक रहने पर उसे उच्च कोटी का दर्जा दिया जाता है।
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Keshkal News: बता दें कि, यहां प्रतिवर्ष भादो माह के कृष्णपक्ष के शनिवार के दिन भादो जातरा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी आज 23 अगस्त को जात्रा लगेगा। जात्रा के पहले छः शनिवार को सेवा (विशेष पूजा) की जाती है और सातवें अंतिम शनिवार को जात्रा का आयोजन होता है। इस अंतिम शनिवार को जात्रा के दिवस क्षेत्र के नौ परगना के देवी देवता के अलावा पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता मुख्या भी बड़ी संख्या में शामिल होते है। यह मेला शनिवार के दिन ही लगता है, क्षेत्र के विभिन्न देवी देवताओं का भंगाराम मांई के दरबार में अपनी हाजरी देना अनिवार्य होता है।
जात्रा के दिन भंगाराम मांई के दरबार पर महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है। सभी देवी देवताओं को फुल पान सुपारी मुर्गा बकरा बकरी देकर प्रसन्न किया जाता है। वहीं भंगाराम मांई के मान्यता मिले बिना किसी भी नये देव की पूजा का प्रावधान नहीं है। वहीं पर महाराष्ट्र के डॉक्टर पठान देवता भी है जिन्हें डॉक्टर खान देवता कहा जाता है, उन्हे भी प्रसन्न करने के लिए अंडे दिये जाते है। देवी देवताओं के मेला में क्षेत्र व दूरदराज के लोग भी काफी संख्या में उपस्थित होते है।