गरियाबंद, छत्तीसगढ़। ओढ़ गांव में हाथियों ने अचानक लोगों के घरों हमला बोल दिया। हाथियों के आतंक का वीडियो देख आप दहशत में आ जाएंगे। गांव में घुसे हाथियों ने लोगों के घर और शौचालय को तोड़ता शुरू कर दिया। गनीमत रही ग्रामीणों ने कुछ पक्के मकानों पर चढ़कर अपनी जान बचाई। वीडियों में आप देख सकते हैं हाथी बेहद आक्रोशित हैं और गांव की गलियों में यहां-वहां दौड़ लगा रहे हैं। गांव वाले हाथियों से बचकर भागते नजर आ रहे हैं।
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एक्सक्लूसिव वीडियो सबसे पहले IBC24 ने आपको दिखाया। भरोसेमंद चैनल होने के नाते हम लगातार हाथियों के उत्पात पर खबरें प्रमुखता से दिखाते आ रहे हैं। प्रशासन को अब इनसे लोगों को राहत दिलाने ठोस कदम उठाने होंगे अब तक प्रशासन केवल नुकसान का मुआवजा देने तक सीमित है। 46 प्रकरणों में करीब तीन लाख का मुआवजा बांटा जा चुका है।
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वह बीते दो दिनों में हुए नुकसान का आकलन अभी बाकी है जिसमें लोगों के घर और शौचालय का भी मुआवजा देने की बात वन अधिकारी कह रहे हैं। इसके अलावा अंबिकापुर और सूरजपुर से दो महावत बुलवाएं गए हैं जो लोगों को हाथी से बचने के बारे में बता रहे हैं। हम आपको बता दें कि बीते साल भर मैं छत्तीसगढ़ में हाथियों ने कई नए इलाकों में अपनी पैठ बना ली है। गरियाबंद जिला हाथियों का सबसे नया ठिकाना बनकर सामने आया है। यहां हाथियों का कोई पुराना इतिहास नहीं रहा है। मगर इस साल 35 हाथियों का दल जिले के उदंती टाइगर रिजर्व इलाके के आमा मोरा इलाके में पहुंचा।
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बीते 10 नवंबर को यह दल गरियाबंद जिले में प्रवेश किया और लगभग 22 नवंबर को जब यह दल वापस गया तो हाथी का एक बीमार बच्चा यहां छूट गया था। जंगलों से यह दल अपने बिछड़े बच्चे को लेने वापस ओढ़ गांव पहुंचे। इलाज की सुविधा के लिए वन विभाग हाथी के बच्चे को गांव ले आया था। यह देख हथनी पूरे गांव में आतंक मचाने लगी। घरों को तोड़ा शौचालय तोड़ा इसके बाद जब बच्चा मिल गया तब कुछ शांत हुई।
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वहीं यह 35 हाथियों का दल अभी भी गांव के आसपास डेरा जमाया हुआ है और फसल खाने सुबह सवेरे गांव पहुंच जाते हैं। लोगों में इसकी भारी दहशत नजर आ रही है। लोग बच्चों को स्कूल अकेले भेजने से डर रहे हैं वहीं इस इलाके के लिए यह नई मुसीबत बनकर सामने आई है जिससे निपटने का तरीका लोगों को समझ नहीं आ रहा है। वन विभाग हालांकि इसके लिए प्रयासरत है कि लोग और हाथी को एक दूसरे से दूर रखें। लेकिन यह इलाका ऐसा है जहां लोगों का जनजीवन 80% वनों पर ही निर्भर है। ऐसे में अगर लोग जंगल नहीं जाएंगे तो उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
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वहीं अगर जंगल जाते हैं तो हाथी के हमले का डर बना रहेगा। वही इस संबंध में उदंती टाइगर प्रोजेक्ट के सहायक संचालक विष्णु का कहना है, कि हम गांव वालों को जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं कि हाथी जंगल में है वहां ना जाए ग्रामीणों को सावधान रहने रंगीन कपड़े ना पहनने और हाथी दिखने पर सेल्फी लेने का प्रयास ना करने के निर्देश दिए हैं।
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