सुबह का भूला 22 साल बाद घर लौटा, जानिए असली चरित्र की फिल्मी पटकथा

सुबह का भूला 22 साल बाद घर लौटा, जानिए असली चरित्र की फिल्मी पटकथा

सुबह का भूला 22 साल बाद घर लौटा, जानिए असली चरित्र की फिल्मी पटकथा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:48 pm IST
Published Date: April 2, 2019 12:20 pm IST

अंबिकापुर । किसी फिल्म में अपने परिजनों के द्वारा मृत समझे जाने वाले व्यक्ति को सालों बाद ड्रामेटिक अंदाज में वापसी की कहानी तो आपने बहुत सुनी और देखी होंगी, लेकिन जो घटना हम आपको बताने जा रहे हैं,वो ना केवल सच्ची है बल्कि रहस्यों से भी भरी हुई है। सरगुजा संभाग के त्रिकुंडा इलाके में फिल्मी पटकथा सी मालूम होती घटना सामने आई है। जहां 22 साल से मृत समझे जाने वाला इंसान वापस लौट आया और अब अपने परिवार वालों के साथ सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा है ।
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मामला बलरामपुर जिले के त्रिकुंडा थाना क्षेत्र के बसूलापाठ का है जहां के रहने वाले रमेश सिंह करीब 22 साल पहले वर्ष 1997 में काम करने बिहार गए हुए थे । यहां किसी विवाद को लेकर रमेश ने अपने साथी की हत्या कर दी और तब से गया जेल में बंद था । परिवार के लोगों ने रमेश की किसी तरह की जानकारी नहीं मिल पाने के कारण उसे मृत समझ लिया और उसके बारे में कोई खैर- खबर नहीं ली ।

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बसूलापाठ गांव के सरपंच को करीब 22 साल बाद जानकारी मिली की रमेश गया जेल में हत्या के आरोप में बंद है । जब सेंट्रल जेल अंबिकापुर की कल्याण अधिकारी बानी मुखर्जी गांव के भ्रमण में थी, तब इस बात की जानकारी सरपंच ने कल्याण अधिकारी को दी था। कल्याण अधिकारी बानी मुखर्जी ने गया जेल प्रबंधन के साथ ही बलरामपुर जेल प्रशासन से बात कर रमेश सिंह की रिहाई के लिए पहल की और यह प्रयास सफल भी हुआ । रमेश सिंह 22 साल बाद जेल से छूटकर अपने गांव लौटे तो उसके परिवार वाले के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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रमेश सिंह अब अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है । रमेश आपराधिक दुनिया से निकलकर दुकान खोल कर अपना और परिवार का भरण-पोषण कर जीवन व्यतीत कर रहा है। रमेश के परिजन भी बेहद खुश हैं और कल्याण अधिकारी के इस प्रयास को सराह रहे हैं, जिससे जेल में निरुद्ध व्यक्ति अब अपने परिजनों के साथ सामान्य जीवन जी रहा है।


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