नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) संसद की सुरक्षा में चूक मुद्दे पर चर्चा कराने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर सोमवार को विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया, जिसके चलते विपक्षी दलों के 34 सदस्यों को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए तथा 11 सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित कर दिया।
सदस्यों के निलंबन से पहले राज्यसभा की कार्यवाही कई बार बाधित हुई और अंतत: दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
अपराह्न साढ़े चार बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड ने सदन में हंगामे को लेकर विपक्षी दलों के 34 सदस्यों का नाम लिया।
आसन द्वारा सदस्यों का नाम (नेम करना) लिया जाता है तो इसे उन सदस्यों को निलंबित करने की प्रक्रिया की शुरुआत माना जाता है।
इसके बाद नेता सदन पीयूष गोयल ने 34 सदस्यों के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इन सदस्यों में प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, अमी याज्ञिक, नारणभाई जे राठवा, सैयद नासिर हुसैन, फूलो देवी नेताम, शक्तिसिंह गोहिल, के.सी. वेणुगोपाल, रजनी पाटिल, रंजीत रंजन, इमरान प्रतापगढ़ी, रणदीप सिंह सुरजेवाला (सभी कांग्रेस) शामिल हैं। इसके अलावा सुखेन्दु शेखर रे, मोहम्मद नदीमुल हक, अबीर रंजन विश्वास, शांतनु सेन, मौसम नूर, प्रकाश चिक बड़ाइक, समीरुल इस्लाम (सभी तृणमूल कांग्रेस) एम. शनमुगम, एन.आर. एलानगो, कनिमोझी एनवीएन सोमू, आर गिरिराजन (द्रमुक) भी निलंबित किए गए हैं।
निलंबित किए गए सदस्यों में मनोज कुमार झा और फैयाज अहमद (राजद), वी. शिवदासन (माकपा), रामनाथ ठाकुर एवं अनिल प्रसाद हेगड़े (जद यू), वंदना चव्हाण (राकांपा), रामगोपाल यादव, जावेद अली खान (सपा), महुआ माजी (झामुमो), जोस के. मणि एवं अजीत कुमार भुइयां शामिल हैं।
इन सदस्यों को मौजूदा सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है।
इसके साथ ही 11 अन्य सदस्यों को भी निलंबित किया गया है। उन्हें विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक के लिए निलंबित कर दिया। समिति से कहा गया है कि वह इन 11 सदस्यों के आचरण के संबंध में अपनी रिपोर्ट तीन महीने के अंदर पेश करेगी।
इन 11 सदस्यों में जेबी माथेर हिशाम, एल. हनुमंथैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी.सी. चन्द्रशेखर, बिनय विश्वम, संतोष कुमार पी, एम. मोहम्मद अब्दुल्ला, जॉन ब्रिटास और ए.ए. रहीम शामिल हैं।
सदस्यों के निलंबन के बाद सभापति ने निलंबित किए गए सदस्यों को सदन की कार्यवाही से खुद को अलग कर लेने का अनुरोध किया लेकिन कुछ सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करते रहे।
अंतत: उन्होंने उच्च सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्षी दलों के हंगामे के कारण उच्च सदन की कार्यवाही भोजनावकाश से पहले दो बार और दिन भर के लिए स्थगित किए जाने से पहले दो बार के लिए स्थगित हुई। हंगामे की वजह से उच्च सदन में शून्य काल और प्रश्न काल नहीं हो सके। भोजनावकाश के बाद हंगामे के बीच ही सदन ने जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले दो अहम विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023 और संघ राज्य क्षेत्र शासन (सशोधन) विधेयक, 2023 को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से मंजूरी दी। लोकसभा ने पिछले दिनों इन विधेयकों को मंजूरी दी थी।
चार बजे सदन की बैठक शुरु होते ही विपक्षी सदस्य विपक्ष के नेता को अपनी बात रखने देने की मांग करने लगे। सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अनुरोध किया वे पहले अपने-अपने स्थान पर बैठ जाएं।
उन्होंने कहा, ‘‘सदन में व्यवस्था बनाए रखना सदस्यों का मौलिक कर्तव्य है।’’
उन्होंने कहा कि जब तक सदन में व्यवस्था बहाल नहीं हो जाती तब तक वे किसी को बोलने का अवसर नहीं दे सकते।
उन्होंने कहा, ‘‘आज का दिन बहुत परेशान करने वाला रहा। जम्मू कश्मीर में महिलाओं को आरक्षण देने संबंधी विधेयक पर भी सहयोग नहीं किया गया। दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष को कक्ष में बुलाया गया लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया।’’
धनखड़ ने सदस्यों के व्यवहार पर आपत्ति जताई और कहा कि वे ‘व्यवधान को हथियार’ बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा में चूक ‘सामूहिक चिंता’ का विषय है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि यह प्रतिष्ठित संस्थान सबसे सुरक्षित और सबसे अनुकूल वातावरण में काम करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘घटना की गहराई से जांच करने और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कार्य योजना तैयार करने की खातिर लोकसभा अध्यक्ष ने पहले ही एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन कर दिया है। इसके निष्कर्षों को उचित समय पर सदन के साथ साझा किया जाएगा।’’
हंगामा जारी रहने पर धनखड़ ने कहा कि वह ‘असहाय स्थिति’ में हैं और उन्होंने उम्मीद जताई कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे उनसे उनके कक्ष में मुलाकात करेंगे। सभापति ने विपक्षी सदस्यों के आचरण पर आपत्ति जताई और इस बात पर भी अफसोस जताया कि उनके बार-बार बुलाने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष उनसे मिलने उनके कक्ष में नहीं आए।
सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही हंगामा शुरू होने के बीच धनखड़ ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत चर्चा कराने के लिए कुल 22 नोटिस मिले हैं। लेकिन उन्होंने उन नोटिस को अस्वीकार कर दिया।
हालांकि, सभापति ने उनकी मांग खारिज करते हुए शून्य काल आरंभ कराया लेकिन विपक्षी सदस्य हंगामा और नारेबाजी करने लगे।
इसी दौरान, धनखड़ ने कुछ विपक्षी सदस्यों के आचरण पर आपत्ति जताई। कुछ विपक्षी सदस्यों के हाथों में ‘प्ले कार्ड’ भी देखा गया। इसके तत्काल बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
पहली बार के स्थगन के बाद 11.30 बजे जैसे ही सदन की बैठक आरंभ हुई सभापति धनखड़ ने श्रीलंका से आए संसदीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और उसके बाद शून्य काल शुरू कराया।
इसी समय विपक्षी सदस्यों का हंगामा आरंभ हो गया और बैठक दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
संसद की सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना बुधवार को उस वक्त सामने आई जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग सदन के भीतर कूद गए और ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया। घटना के तत्काल बाद दोनों को पकड़ लिया गया था।
इस घटना के बाद से ही विपक्षी सदस्य सुरक्षा चूक के मुद्दे पर शाह के बयान एवं चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र अविनाश
अविनाश