कानून बनने के एक दशक बाद लोकपाल ने अभियोजन शाखा का गठन किया

कानून बनने के एक दशक बाद लोकपाल ने अभियोजन शाखा का गठन किया

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  • Publish Date - June 19, 2025 / 09:17 PM IST,
    Updated On - June 19, 2025 / 09:17 PM IST

(अश्विनी श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) कानून बनने के एक दशक से भी अधिक समय बाद भ्रष्टाचार-रोधी लोकपाल ने भ्रष्ट लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन शाखा का गठन किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद एक जनवरी, 2014 को लागू किया गया था, लेकिन इसके तहत अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति छह साल से अधिक समय बाद 27 मार्च, 2019 को हुई थी।

अधिनियम की धारा 12 लोकपाल को ‘‘लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने के उद्देश्य से’’ अभियोजन शाखा का गठन करने के लिए बाध्य करती है।

लोकपाल की एक पीठ ने 30 अगस्त, 2024 की अपनी बैठक में लोकपाल की जांच और अभियोजन शाखा दोनों का गठन करने का निर्णय लिया था।

संबंधित आदेश में कहा गया है कि पीठ ने अध्यक्ष को इसके लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए भी अधिकृत किया है, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया शुरू करना शामिल है, जिसके लिए रसद सहायता की आवश्यकता है।

इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, उस समय लोकपाल द्वारा संदर्भित अभियोजन मामलों की सीमित संख्या को देखते हुए, पांच सितंबर 2024 के आदेश के अनुसार, 2013 के अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत केवल जांच प्रकोष्ठ का गठन करने का निर्णय लिया गया था।’’

चूंकि अब अभियोजन मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है, इसलिए पूर्ण पीठ ने पांच जून को एक प्रस्ताव के माध्यम से पहले प्रतिनियुक्ति के आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति करके अभियोजन प्रकोष्ठ को कार्यात्मक बनाने का निर्णय लिया।

लोकपाल ने बृहस्पतिवार को प्रकोष्ठ के गठन के संबंध में एक अधिसूचना सार्वजनिक की। यद्यपि यह अधिसूचना 13 जून को ही जारी कर दी गयी थी।

लोकपाल अधिनियम में लोक सेवकों के विरुद्ध अभियोजन चलाने के लिए ‘अभियोजन निदेशक’ की अध्यक्षता में अभियोजन शाखा के गठन का प्रावधान है।

इसमें यह प्रावधान है कि अभियोजन शाखा के गठन तक, केंद्र सरकार अभियोजन के लिए अपने मंत्रालयों या विभागों से अधिकारी तथा अन्य कर्मचारी उपलब्ध कराएगी।

भाषा

सुरेश माधव

माधव