राजाजी बाघ अभयारण्य में कॉर्बेट से पांचवें बाघ को बेहोश कर पकड़ लिया गया |

राजाजी बाघ अभयारण्य में कॉर्बेट से पांचवें बाघ को बेहोश कर पकड़ लिया गया

राजाजी बाघ अभयारण्य में कॉर्बेट से पांचवें बाघ को बेहोश कर पकड़ लिया गया

Edited By :  
Modified Date: April 30, 2025 / 09:07 PM IST
,
Published Date: April 30, 2025 9:07 pm IST

ऋषिकेश, 30 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड के राजाजी बाघ अभयारण्य के पश्चिमी छोर में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए स्वीकृत स्थानांतरण परियोजना (ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट) के तहत बुधवार को कॉर्बेट बाघ अभयारण्य से अंतिम और पांचवें बाघ को बेहोश करके पकड़ लिया गया। कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के निदेशक साकेत बड़ोला ने बुधवार को यह जानकारी दी।

बड़ोला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कॉर्बेट बाघ अभयारण्य की बिजरानी रेंज के सांवलदे वन कक्ष से सुबह पकड़े गए नर बाघ की उम्र पांच वर्ष है।

उन्होंने बताया कि बाघ को फिलहाल सांवल्दे के गुज़र पड़ाव स्थित बचाव केंद्र में रखा जाएग। जहां इसके खून के नमूने लिए जाएंगे और इसके स्वास्थ्य मानकों की जांच होगी। उन्होंने बताया कि इसके बाद इसे फिर से पिंजरे में डालकर राजाजी बाघ अभयारण्य की मोतीचूर रेंज में बने बाड़े में भेज दिया जाएगा।

इससे पूर्व कॉर्बेट बाघ अभयारण्य से राजाजी बाघ अभयारण्य के लिए चार बाघ सफलतापूर्वक भेजे जा चुके हैं जिनमें से एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म भी दिया था। हालांकि, भोजन श्रृंखला की सहज प्रतिद्वंदिता के चलते तेंदुओं ने दो शावकों की हत्या कर दी थी जबकि शेष दो शावक अभी तक सुरक्षित बताए जा रहे हैं ।

ताजा स्थानांतरण के बाद राजाजी बाघ अभयारण्य की मोतीचूर रेंज से लेकर चिल्लावाली रेंज के बीच के जंगल में कुल पांच बाघ हो जाएंगे। इस संख्या में स्थानांतरित बाघिन के दो शावक शामिल नहीं है। स्थानांतरित पांच बाघों में दो प्रजननशील नर बाघ और तीन प्रजननशील बाघिन हो जाएंगी।

राजाजी बाघ अभयारण्य के पूर्वी छोर पर स्थित गोहरी व चीला रेंज में बाघों की अच्छी खासी आबादी मौजूद है जिसमें से नर बाघ कई बार चीला मोतीचूर गलियारे से भ्रमण करके मोतीचूर तक आकर लौट गए। यह जानकारी निगरानी के लिए बने कैमरा ट्रेप से मिली थी।

विदित हो कि मोतीचूर रेंज में स्थानांतरित बाघों ने भ्रमण तो किया पर प्रजननशील बाघिनों ने इसे वास के रूप में नहीं चुना। बाघ अपनी सहज प्रवृत्ति से वासस्थल चुनते हैं । विशेषकर बाघिनें भोजन, पानी और आश्रय की उच्च गुणवत्ता पसंद करती है। बाघिन को शावकों को जन्म देना होता है और उनकी सुरक्षा को लेकर उनकी गिनती अग्रणी मांओं में शुमार होती है।

ये मानक रिजर्व की धौलखंड रेंज के जंगल पूरा करते हैं। अब नर बाघों की संख्या दो हो जाने पर राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी छोर के जंगलों में भी बाघों की संख्या अच्छी होने की उम्मीद है ।

भाषा

सं, दीप्ति, रवि कांत

रवि कांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)