Publish Date - February 13, 2025 / 07:11 AM IST,
Updated On - February 13, 2025 / 07:40 AM IST
New Income Tax Bill in Lok Sabha| Photo Credit: Sitharaman X Account
New Income Tax Bill in Lok Sabha: नई दिल्ली। लोकसभा में आज यानि 13 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बिल नया इनकम टैक्स बिल पेश कर सकती हैं। बता दें कि, बिल की कॉपी लोकसभा सदस्यों को भेज दी गई। बिल में टैक्स चार्टर को पेश करने के साथ कई और बदलाव करने का भी प्रस्ताव है। कहा जा रहा है कि, बिल पेश होने बाद लोकसभा की सेलेक्ट कमिटी के पास चर्चा के लिए भेजा जाएगा।
बता दें कि, इस बिल के कानून बनने से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना और भी आसान हो जाएगा। आज पेश होने जा रहे नए आयकर विधेयक, 2025 को 1961 के पुराने कानून की जगह लेने के लिए तैयार किया गया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने सबसे पहले जुलाई 2024 के बजट में आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान न्यू इनकम टैक्स बिल के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि, यह काफी सरल भाषा में होगा, ताकि लोगों को आसानी से समझ आ सके। सरकार ने पहले ही ये साफ कर दिया है कि नये बिल में किसी तरह के टैक्स बर्डन नहीं जाला जाएगा। इसका उद्देश्य कर विवादों को कम करना भी है।
नया आयकर विधेयक 2025 या नया प्रत्यक्ष कर कोड भारत की कर प्रणाली में सुधार के लिए एक बड़े प्रयास का हिस्सा है। इसका उद्देश्य मौजूदा कर ढांचे को और अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के लिए उसमें सुधार करना है।यह बिल 622 पन्नों का है, जिसमें 536 सेक्शन और 16 अनुसूचियां शामिल हैं।
न्यू इनकम टैक्स बिल में होंगे ये बड़े बदलाव
नए आयकर बिल में कोई नया टैक्स लगाने का प्रावधान नहीं होगा।
मुकदमेबाजी को कम करना नए बिल का उद्देश्य होगा।
नए बिल का मकसद कर प्रणाली में पारदर्शिता लाना है।
पुराने और प्रचलन से बाहर हो चुके शब्दावलियों को हटाया जाएगा। कर से जुड़ी भाषा आसान और सरल होगी।
कई अपराधों के लिए सजा कम करने का प्रावधान भी हो सकता है।
इक्विटी के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस की अवधि में कोई बदलाव नहीं होगा. सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स की दर में कोई बदलाव नहीं. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 20 फीसदी बना रहेगा. 1 अप्रैल 2026 से नए बिल को लागू करने का प्रस्ताव।
फाइनांशियल ईयर के पूरे 12 महीने को अब टैक्स ईयर कहा जाएगा।
एसेसमेंट ईयर जैसी कोई चीज नहीं होगी. ऐसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।