नगांव, 30 नवंबर (भाषा) असम के नगांव जिले में 5,962 बीघा (करीब 798 हेक्टेयर) वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के लिए रविवार को लगातार दूसरे दिन भी अभियान चलाया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
इस अभियान से लगभग 1,700 परिवार प्रभावित हुए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शनिवार को लगभग 70 प्रतिशत ध्वस्तीकरण कार्य पूरा होने के बाद, लुतीमारी आरक्षित वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लोगों को हटाने के लिए दूसरे दिन भी अभियान चलाया गया।
नगांव जिला आयुक्त देवाशीष शर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्वप्निल डेका प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) सुहास कदम की उपस्थिति में इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, “यहां से 75 प्रतिशत से अधिक अतिक्रमणकारी चले गए हैं। कल हमने लगभग 70 प्रतिशत जगह खाली करवा दी थी, जहां 1,700 परिवार रह रहे थे।”
उन्होंने बताया कि जिन लोगों को क्षेत्र से हटाया गया, वे किराये के मकानों और रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रहे हैं तथा पास के गांवों में राहत शिविर भी स्थापित कर रहे हैं।
हालांकि, सरकार ने दावा किया है कि इस क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया था, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वहां प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत घर, जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत पानी के कनेक्शन, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत आंगनवाड़ी केंद्र और सरकारी स्कूल, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत उप-स्वास्थ्य केंद्र और लगभग हर घर में बिजली की सुविधा के अलावा बाजार और मस्जिदें मौजूद हैं।
अधिकारी ने बताया कि 1,700 परिवारों के 1,548 मकानों में से लगभग 426 पक्के और 985 कच्चे मकानों को शनिवार को ध्वस्त कर दिया गया, जबकि शेष मकानों को रविवार को खाली कराया जाएगा।
जिला प्रशासन ने इस अभियान के लिए सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया तथा दर्जनों उत्खनन मशीनों एवं ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया।
एक अन्य अधिकारी ने दावा किया कि कथित अतिक्रमणकारियों को तीन महीने पहले नोटिस जारी कर दो महीने के भीतर जमीन खाली करने को कहा गया था।
उन्होंने बताया कि कथित अतिक्रमणकारियों ने जगह खाली करने के लिए एक और महीने का समय मांगा था और उन्हें जिला प्रशासन द्वारा यह समय दिया गया था।
कुछ निवासियों ने दावा किया कि वे 40 वर्षों से अधिक समय से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह वन भूमि है।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पहले दावा किया था कि मई 2021 में उनके सत्ता संभालने के बाद से 160 वर्ग किलोमीटर से अधिक जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है।
शर्मा ने तीन नवंबर को कहा था कि अतिक्रमण हटाने के लिए यह अभियान जारी रहेगा।
इस साल 21 जुलाई को मुख्यमंत्री ने कहा था कि पिछले चार वर्षों में 1.29 लाख बीघा (42,500 एकड़ से अधिक) भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है तथा राज्य में लगभग 29 लाख बीघा (9.5 लाख एकड़ से अधिक) भूमि अभी भी अतिक्रमण के अधीन है।
शर्मा ने दावा किया था कि असम में इतनी बड़ी संख्या में भूमि पर “बांग्लादेशियों और संदिग्ध नागरिकों” का अतिक्रमण है।
असम सरकार के अतिक्रमण हटाने के लिए कई बेदखली अभियान चलाने की घोषणा करने के बाद, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इस कदम की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि इसका उद्देश्य अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले ‘विमर्श’ गढ़ना है।
भाषा
राखी पारुल
पारुल