एआईएडीएमके के वोट डीएमके को स्थानांतरित हो गए हैं: कानून मंत्री एस. रेगुपति

एआईएडीएमके के वोट डीएमके को स्थानांतरित हो गए हैं: कानून मंत्री एस. रेगुपति

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  • Publish Date - February 10, 2025 / 04:06 PM IST,
    Updated On - February 10, 2025 / 04:06 PM IST

चेन्नई, 10 फरवरी (भाषा) द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) नेता एवं कानून मंत्री एस. रेगुपति ने सोमवार को कहा कि इरोड पूर्व विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में मुख्य विपक्षी दल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) के वोट उनकी पार्टी को स्थानांतरित हो गए हैं। इरोड पूर्व विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी विजयी हुई है।

रेगुपति ने एआईएडीएमके की लगातार चुनावी हार पर एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा कि यह एआईएडीएमके पार्टी और एडप्पडी के. पलानीस्वामी के नेतृत्व के लिए नुकसानदायक है।

मंत्री ने तमिलनाडु में 2017 से अब तक हुए चुनावों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘एडप्पडी पलानीस्वामी का नेतृत्व विफल रहा है और वे 11 चुनावों में हारे हैं।’’ इन चुनावों में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के उपचुनाव, निकाय चुनाव, लोकसभा (2019, 2024) और 2021 के राज्य विधानसभा चुनाव शामिल हैं। पलानीस्वामी 2017 से 2021 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।

रेगुपति ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में इरोड में एआईएडीएमके को मिले वोट (29.79 प्रतिशत, जबकि डीएमके का हिस्सा 51.43 प्रतिशत था) का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी के सभी वोट डीएमके को स्थानांतरित हो गए हैं।

इससे साबित होता है कि मुख्य विपक्षी दल के मतदाता सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवारों को वोट देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे नेता मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाले शासन के द्रविड़ मॉडल की जीत है।’’

इरोड ईस्ट खंड के उपचुनाव में डीएमके के वीसी चंद्रकुमार (1,15,709 वोट–74.7 प्रतिशत) विजयी उम्मीदवार थे। उपचुनाव के परिणाम आठ फरवरी, 2025 को घोषित किए गए थे। नाम तमिझार काची की एम. के. सीतालक्ष्मी दूसरे स्थान पर रहीं और उन्हें 24,151 वोट (15.59 प्रतिशत) मिले। एआईएडीएमके और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित अन्य मुख्यधारा की पार्टियों ने उपचुनाव का बहिष्कार किया था। मतदान पांच फरवरी को हुआ था।

जाति जनगणना पर एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि चूंकि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार जनगणना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है, इसलिए जनगणना कार्य, भले ही राज्य सरकार द्वारा किया गया हो, कानूनी रूप से वैध नहीं होगा।

राज्य आधारित जाति जनगणना प्रक्रिया पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने के कुछ उदाहरणों की ओर इशारा करते हुए रेगुपति ने कहा कि इसलिए तमिलनाडु यह रास्ता अपनाने के लिए इच्छुक नहीं है।

भाषा सुरभि नरेश

नरेश