Ethiopia Volcano Eruption News || Image- DisasterAlert file
Ethiopia Volcano Eruption News: कोच्चि: कोच्चि हवाई अड्डे से सोमवार को रवाना होने वाली दो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण रद्द कर दी गईं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ‘कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड’ के अनुसार, ज्वालामुखी विस्फोट के बाद एहतियातन जेद्दा और दुबई जाने वाली उड़ानें रद्द की गईं। रद्द उड़ानों में ‘इंडिगो’ की 6ई1475 (कोच्चि–दुबई) और ‘अकासा एयर’ की क्यूपी550 (कोच्चि–जेद्दा) शामिल हैं। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि स्थिति में सुधार होने पर उड़ान सेवाएं पुनः शुरू कर दी जाएंगी।
गौरतलब है कि, हेली गुब्बी ज्वालामुखी विस्फोट से उठी राख का एक घना बादल मंगलवार रात भारत पहुँच गया, जिसके बाद विमानन अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी करने पड़े, जिससे भारत में उड़ानों का संचालन प्रभावित हुआ। राख का यह गुबार रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुँचा और गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा की ओर बढ़ गया। आईएमडी के नवीनतम अपडेट के अनुसार, यह आगे चीन की ओर बढ़ेगा और 14:00 GMT (स्थानीय समयानुसार शाम 7:30 बजे) तक भारत से निकल जाने की उम्मीद है।
Ethiopian Volcano Hayli Gubbi Erupted
1,709 ft volcano with First ever eruption ever recorded today, explosive ash plume 6–9 miles high, drifting toward Yemen/Oman https://t.co/lhKxFF1qsa pic.twitter.com/bmAcgip0wD
— DisasterAlert (@DisasterAlert2) November 24, 2025
Ethiopia Volcano Eruption News: इंडियामेटस्काई वेदर के अनुसार, राख का बादल मंगलवार रात गुजरात में प्रवेश कर गया और राजस्थान की ओर बढ़ गया, जिससे उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सहित कई राज्य प्रभावित हुए।
समाचार एजेंसी एएनआई ने मौसम विज्ञान सेवा के हवाले से बताया कि उत्तर भारत में 100-120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से घूम रहा यह बादल भारत से निकलते समय हिमालय से टकराएगा। यह 15,000-25,000 फीट की ऊँचाई पर है और 45,000 फीट तक भी जा सकता है।
इंडियामेटस्काई वेदर के अनुसार, इसमें ज्वालामुखीय राख, सल्फर डाइऑक्साइड, और काँच व चट्टान के छोटे कण शामिल हैं। अपने घटकों के कारण, यह बादल आकाश काला दिखाई देगा और हवाई यातायात को भी प्रभावित कर सकता है।
एजेंसी ने कहा कि राख का गुबार भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगा, लेकिन नेपाल की पहाड़ियों, विशेष रूप से हिमालय और उत्तर प्रदेश के निकटवर्ती तराई क्षेत्र में सल्फर डाइऑक्साइड के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
यह बादल वर्तमान में ओमान-अरब सागर क्षेत्र से लेकर उत्तर और मध्य भारत के मैदानों तक फैला हुआ है। इसके द्वारा जिन स्थानों पर यात्रा की जाएगी, वहां राख गिरने की संभावना कम है।