नई दिल्ली । देश भर में राम मंदिर को लेकर चर्चा जारी है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले को सुना। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक बार फिर इस मामले को आपसी सुलह से निपटाने का मत व्यक्त किया है। उच्चतम न्यायालय ने मामले को मध्यस्थता पैनल के पास भेज दिया है। अदालत ने चार हफ्तों के अंदर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। साथ ही आठ हफ्तों के अंदर पूरी रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने तीन लोगों का एक मध्यस्थता पैनल बनाई है जिसका नेतृत्व सेवानिवृत्त जस्टिस कलीफुल्लाह करेंगे। उनके अलावा इस पैनल में श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचू होंगे।
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तोमर-तोगड़िया की विपरीत राय
उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सराकर और विपक्ष में बैठे लोग व्यक्तिगत राय भी दे रहे हैं। हिंदोस्तान निर्माण दल के संस्थापक डॉ प्रवीण तोगडिया ने अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। प्रवीण तोगड़िया ने कहा है कि मध्यस्थता के जरिए राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है। बीजेपी को संसद में अध्यादेश लाकर मंदिर बनाना था और अगर मोदी सरकार चाहे तो आज भी आचार संहिता लगने से पहले सरकार अध्यादेश लाकर मंदिर बनाने का काम शुरू कर सकती है। तोगड़िया अलग से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राम मंदिर पर मध्यस्थता के लिए पैनल बनाने को सराहनीय कदम बताया है। केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि राम मंदिर हमेशा बीजेपी के लिए आस्था का विषय रहा है। राममंदिर को कभी बीजेपी ने राजनीति के रुप में नही देखा है। तोमर का कहना है कि राममंदिर प्रभुराम जी की जन्मभूमि पर ही बने ये सभी की इच्छा और बीजेपी की प्रतिबद्धता है।
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कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए कुल 8 हफ्तों का वक्त दिया है। मध्यस्थता पीठ फैजाबाद में बैठेगी। राज्य सरकार, मध्यस्थता पीठ को सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी। कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता तुरंत शुरू हो उसे शुरू होने में एक सप्ताह से अधिक का समय न लगे। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता पैनल को 4 हफ्तों में मामले की रिपोर्ट देनी होगी।
राम जन्मभूमि मामले में एक पक्षकार इकबाल अंसारी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही कहा है कि वे भी चाहते हैं कि मामला बातचीत के जरिए हल हो।