Condom Crisis: एक महीने के लिए बंद होगी कंडोम की बिक्री! इस वजह से सरकार ने लिया बड़ा फैसला

Bangladesh Condom Crisis : बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में अगले कुछ दिनों में कंडोम का स्टॉक लगभग खत्म होने की हालत में है। स्थिति इतनी गंभीर हैं कि आने वाले साल की शुरुआत में कम से कम एक महीने तक कंडोम की बिक्री ठप की जा सकती है।

Condom Crisis: एक महीने के लिए बंद होगी कंडोम की बिक्री! इस वजह से सरकार ने लिया बड़ा फैसला

Condom Crisis, image source: file image

Modified Date: December 28, 2025 / 04:57 pm IST
Published Date: December 28, 2025 4:57 pm IST
HIGHLIGHTS
  • कंडोम के लिए बड़े पैमाने पर विदेशों पर निर्भर
  • DGFP की व्यवस्था हुई खराब
  • फील्ड वर्कर्स की कमी ने बढ़ाई परेशानी
  • बाजार में उछले कंडोम के दाम

Bangladesh Condom Crisis: बांग्लादेश में इन दिनों कई प्रकार के संकट एक साथ दस्तक दे रहे हैं। एक तरफ राजनीतिक अस्थिरता, तो दूसरी तरफ हिंसा का दौर जारी है। इसी बची एक ऐसा संकट उभर रहा है जो चुपचाप लाखों जिंदगियों को खतरे में डाल सकता है। दरअसल, परिवार नियोजन की रीढ़ माने जाने वाले गर्भनिरोधक साधन अचानक बाजार और सरकारी सिस्टम से गायब हो रहे हैं। कंडोम काफी महंगे हो गए हैं।

बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में अगले कुछ दिनों में कंडोम का स्टॉक लगभग खत्म होने की हालत में है। स्थिति इतनी गंभीर हैं कि आने वाले साल की शुरुआत में कम से कम एक महीने तक कंडोम की बिक्री ठप की जा सकती है। इसका सीधा असर देश के परिवार नियोजन कार्यक्रम पर पड़ने वाला है, देश ने दशकों में जनसंख्या नियंत्रण और मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की थी। इतना ही नहीं यह संकट लंबे समय तक रहा तो अनचाहे गर्भ, मातृ मृत्यु दर और यौन रोगों के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हो सकती है, जो लाखों जिंदगियों को खतरे में डाल सकती है।

कंडोम के लिए बड़े पैमाने पर विदेशों पर निर्भर

बता दें कि बांग्लादेश अपनी कंडोम की जरूरतों के लिए बड़े पैमाने पर विदेशों पर निर्भर है। आयात में देरी, भुगतान संबंधी दिक्कतें और अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन में बाधा ने स्थिति को और खराब कर दिया है। हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण लॉजिस्टिक्स भी प्रभावित हुआ है, जिससे पहले से कम स्टॉक तेजी से खत्म हो रहा है।

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DGFP की व्यवस्था हुई खराब

Bangladesh Condom Crisis: परिवार नियोजन निदेशालय यानी DGFP देशभर में कंडोम समेत पांच तरह के गर्भनिरोधक साधन मुफ्त वितरित करता है। इनमें कंडोम, ओरल पिल्स, आईयूडी, इंजेक्टेबल और इम्प्लांट शामिल हैं, लेकिन अब DGFP के लिए इन दवाओं का न्यूनतम स्टॉक बनाए रखना भी कठिन हो गया है। फंड की कमी और स्टाफ की भारी कमी ने इस पूरी व्यवस्था को चरामरा दिया है।

इसी बीच नेशनल कॉन्ट्रासेप्टिव समरी रिपोर्ट के आंकड़े भी काफी गंभीर स्थिति दिखा रहे हैं। पिछले छह वर्षों में कंडोम की सप्लाई में 57 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। ओरल पिल्स की उपलब्धता 63 फीसदी, आईयूडी 64 फीसदी, इंजेक्टेबल 41 फीसदी और इम्प्लांट 37 फीसदी तक घट चुके हैं। 11 दिसंबर 2025 तक DGFP के पास सिर्फ 39 दिनों का कंडोम स्टॉक, 33 दिनों का इम्प्लांट और 45 दिनों का आईयूडी शेष था, जबकि ओरल पिल्स और इंजेक्टेबल दवाएं भी तेजी से खत्म हो रही हैं।

फील्ड वर्कर्स की कमी ने बढ़ाई परेशानी

परिवार नियोजन कार्यकर्ता इस सिस्टम की सबसे मजबूत कड़ी माने जाते हैं, लेकिन कानूनी अड़चनों के चलते लंबे समय से नई भर्तियां नहीं हो पाई हैं। कई अहम पद खाली पड़े हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी इलाकों में गर्भनिरोधक साधन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। ये कार्यकर्ता सिर्फ दवाएं नहीं बांटते, बल्कि जागरूकता, काउंसलिंग और महिलाओं को सही विकल्प चुनने में मदद भी करते हैं।

बाजार में उछले कंडोम के दाम

Bangladesh Condom Crisis:  कंडोम की कमी का सीधा असर बाजार में दिखने लगा है। कई मेडिकल स्टोर कंडोम की जमाखोरी कर रहे हैं, लोकल और सस्ते ब्रांड, जिनकी कीमत पहले 15 से 25 टका थी, अब 30 से 50 टका तक पहुंच चुकी है। वहीं प्रीमियम ब्रांड, जो पहले 200 से 250 टका में मिलते थे, अब 300 से 700 टका या उससे ज्यादा में बिक रहे हैं। इससे गरीब और मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। अगर यह संकट लंबा खिंचा तो बांग्लादेश की जनसंख्या नीति को बड़ा झटका लग सकता है। इतना ही नहीं अनियोजित गर्भधारण, मातृ स्वास्थ्य जोखिम और यौन संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com