कोलकाता, 11 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को निर्वाचन आयोग को सूचित किया कि उसने मतदाता सूची तैयार करने में “अनियमितताएं” करने के लिए पहचाने गए पांच अधिकारियों में से दो को सक्रिय चुनाव ड्यूटी से हटा दिया है, लेकिन चुनाव आयोग के कहने के अनुसार उन्हें निलंबित नहीं किया है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को लिखे पत्र में कहा कि “लगातार ईमानदारी और क्षमता” का प्रदर्शन करने वाले राज्य सरकार के किसी अधिकारी के खिलाफ अगर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है, तो वह बहुत अधिक कठोर मानी जाएगी।
पंत ने पत्र में कहा कि सरकार ने निर्वाचन आयोग के पूर्व निर्देशानुसार संबंधित अधिकारियों को निलंबित करने के बजाय उन्हें निर्वाचक पुनरीक्षण और चुनाव संबंधी ड्यूटी से हटा दिया।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य ने इस मुद्दे की आंतरिक जांच शुरू कर दी है, साथ ही उक्त प्रक्रिया के संचालन को नियंत्रित करने वाली मौजूदा प्रक्रियाओं और कार्यप्रणालियों की गहन समीक्षा भी की जा रही है।
राज्य के शीर्ष अफसर ने आयोग के आदेश पर जवाब तय समय यानी सोमवार दोपहर तीन बजे की समयसीमा से दो घंटे पहले ही भेज दिया था। निर्वाचन आयोग ने चार अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।
आयोग ने पांच अगस्त को चार अधिकारियों – पश्चिम बंगाल में दो निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और दो सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) – और एक अस्थायी डेटा एंट्री ऑपरेटर को निलंबित करने के अपने फैसले की घोषणा की थी। इन पर क्रमशः दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों के बरुईपुर पूर्व और मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करते समय कथित रूप से अनियमितताएं करने का आरोप था।
इसने मुख्य सचिव को सभी पांच आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया तथा शीर्ष नौकरशाह से जल्द से जल्द कार्रवाई रिपोर्ट मांगी।
इनमें से दो – देबोत्तम दत्ता चौधरी और बिप्लब सरकार पश्चिम बंगाल लोकसेवा (कार्यकारी) रैंक के अधिकारी हैं और वे निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) के रूप में कार्यरत हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार को आठ अगस्त को जारी एक नए नोटिस में आयोग ने चार अधिकारियों को निलंबित करने के अपने फैसले को लागू करने तथा कार्रवाई अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 11 अगस्त को अपराह्न तीन बजे तक का समय निर्धारित किया था।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आयोग के अधिकार क्षेत्र और इस कदम की वैधता पर सवाल उठाया। भाजपा पर आयोग का इस्तेमाल “राज्य सरकार के अधिकारियों को डराने” के लिए करने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने कहा था कि वह संबंधित अधिकारियों को निलंबित नहीं करेंगी।
भाषा नोमान प्रशांत
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