पश्चिम बंगाल विधानसभा से भाजपा विधायकों ने किया बहिर्गमन

पश्चिम बंगाल विधानसभा से भाजपा विधायकों ने किया बहिर्गमन

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  • Publish Date - June 20, 2025 / 07:19 PM IST,
    Updated On - June 20, 2025 / 07:19 PM IST

कोलकाता, 20 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में शुक्रवार को नेताजी सुभाष खेल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पर आधे घंटे तक चली हंगामेदार बहस के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया।

हंगामा तब शुरू हुआ, जब शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु द्वारा विधेयक पेश किये जाने के तुरंत बाद भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष उसपर बोलने के लिए खड़े हुए।

मंत्री बाबुल सुप्रियो ने घोष को टोकते हुए सवाल किया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों को उनकी बात क्यों सुननी चाहिए, जब वह (घोष) और भाजपा के अन्य सदस्य पिछले दिन प्रश्नकाल के समय मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के जवाब के दौरान सदन से चले गए थे।

सुप्रियो का समर्थन करते हुए 100 से ज़्यादा तृणमूल विधायक अपनी जगह पर खड़े हो गए, जबकि विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने घोष को अपना भाषण जारी रखने की अनुमति दी।

बनर्जी ने कहा, ‘‘कल मुझे आपके और दूसरे भाजपा विधायकों के बयान हटाने पड़े, क्योंकि मंत्री के जवाब देने के दौरान आप चले गए थे। यह सदन का अपमान था, लेकिन मैं चाहता हूं कि सदन चले, इसलिए मैं चाहूंगा कि आप बोलें।’’

बनर्जी ने कहा कि अक्सर विपक्षी विधायक किसी प्रस्ताव पर अपना भाषण खत्म करने के बाद अपने स्थान से चले जाते हैं, वे अपने सवालों पर मंत्रियों के जवाब सुनने का इंतजार नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं घोष से कहना चाहता हूं कि नियम के अनुसार उन्हें भाषण देने के बाद अपना स्थान नहीं छोड़ना चाहिए। मैं उनसे ऐसा वादा करने का अनुरोध करता हूं। वैसे तो उन्होंने (घोष ने) ऐसा नहीं किया, फिर भी मैंने उन्हें बोलने दिया, लेकिन वह इसके तुरंत बाद चले गए।’’

जब घोष ने विधानसभा की कार्यवाही से भाजपा विधायकों की टिप्पणियों को हटाने के अध्यक्ष के बृहस्पतिवार के फैसले के खिलाफ बात की, तो अध्यक्ष ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘बयानों को हटाने के बृहस्पतिवार के आदेश के खिलाफ आपकी ये टिप्पणियां आज की कार्यवाही में दर्ज नहीं की जायेंगी। यह आज के मामले से संबंधित आपके बयान का हिस्सा नहीं है।’’

सत्तापक्ष के मुख्य सचेतक निर्मल घोष, मंत्री अरूप विश्वास, चंद्रिमा भट्टाचार्य और सुप्रियो समेत कई तृणमूल नेताओं ने घोष एवं अन्य भाजपा नेताओं के आचरण का विरोध जारी रखा।

यद्यपि, विधानसभा अध्यक्ष ने उत्तेजित तृणमूल सदस्यों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन हंगामा जारी रहा और 15-20 भाजपा विधायक सदन से उठकर चले गए।

सदन से निकलने के तुरंत बाद घोष ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा कि विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है, जो सत्तारूढ़ दल की असहिष्णुता को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा नाम चर्चा के लिए वक्ता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। मैं अपने विचार व्यक्त करना चाहता था, लेकिन निरंकुश तृणमूल कांग्रेस लोकतंत्र को सही ढंग से काम करने देना नहीं चाहती। उन्होंने विपक्ष को बोलने नहीं दिया और विधानसभा अध्यक्ष ने कोई कार्रवाई नहीं की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल विधानसभा के पटल पर आज जो कुछ हुआ है, वह किसी विधानमंडल या संसद के इतिहास में अप्रत्याशित है।…हर किसी ने देखा कि कैसे सत्ताधारी पार्टी के कुछ मंत्रियों ने अपने विधायकों को विपक्ष के मुख्य सचेतक को बोलने से रोकने के लिए उकसाया। अध्यक्ष ने यह कहकर कि मुझे पूरी चर्चा के दौरान उपस्थित रहना है, पक्षपातपूर्ण व्यवहार किया।’’

भाषा राजकुमार सुरेश

सुरेश