शिमला: Salary Hike Latest News हिमाचल प्रदेश में काम करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों को आकर्षित करने के प्रयास में उनके मासिक मानदेय में 50 से 170 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है। सरकार ने रविवार को यह जानकारी दी। यहां जारी एक बयान में कहा गया है कि वरिष्ठ रेजिडेंट/ट्यूटर विशेषज्ञों का मानदेय 60,000/65,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है, जबकि सुपर स्पेशलिस्ट का मानदेय 60,000/65,000 रुपये से बढ़ाकर 1.30 लाख रुपये कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कहा है कि अध्ययन अवकाश पर गए डॉक्टरों को भी पूरा वेतन मिलेगा।
Salary Hike Latest News हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में छह मेडिकल कॉलेज और एक सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल है। हालांकि, राज्य के मेडिकल कॉलेजों में स्वीकृत 751 पदों में से वर्तमान में सिर्फ 375 ही भरे हुए हैं, जिससे विशेषज्ञ डॉक्टरों के 376 पद खाली रह गए हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा वितरण पर काफी असर पड़ा है। सरकार ने कहा कि वह मानदेय में बढ़ोतरी करके एक तात्कालिक समस्या को हल करने का प्रयास कर रही है।
बयान में कहा गया है कि इस वृद्धि से कुशल चिकित्सा पेशेवरों के लिए सरकारी सेवा अधिक आकर्षक हो जाएगी, जिससे इस महत्वपूर्ण अंतर को पाटने में मदद मिलेगी तथा सभी स्तरों पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिवर्ष 9.5 लाख मरीज इलाज के लिए हिमाचल प्रदेश से बाहर जाते हैं, जिस कारण राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को 1,350 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होता है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने चिकित्सा विशेषज्ञों के मानदेय में कितनी बढ़ोतरी की है?
हिमाचल प्रदेश सरकार ने चिकित्सा विशेषज्ञों के मासिक मानदेय में 50 से 170 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की है। वरिष्ठ रेजिडेंट/ट्यूटर विशेषज्ञों का मानदेय अब एक लाख रुपये और सुपर स्पेशलिस्ट का मानदेय 1.30 लाख रुपये होगा।
सरकार ने यह कदम क्यों उठाया है?
सरकार ने चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी को दूर करने और राज्य के चिकित्सा कॉलेजों में खाली पदों को भरने के लिए यह कदम उठाया है। इससे स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार होगा और कुशल डॉक्टरों को आकर्षित किया जाएगा।
क्या डॉक्टरों को अध्ययन अवकाश के दौरान भी पूरा वेतन मिलेगा?
जी हां, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि अध्ययन अवकाश पर गए डॉक्टरों को भी पूरा वेतन मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में कितने चिकित्सा विशेषज्ञों के पद खाली हैं?
हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 751 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 376 पद खाली हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवा पर प्रभाव पड़ा है।
हिमाचल प्रदेश के मरीजों को बाहर क्यों इलाज के लिए जाना पड़ता है?
हिमाचल प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण हर साल 9.5 लाख मरीज इलाज के लिए बाहर जाते हैं, जिससे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद को 1,350 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होता है।