प्रदर्शनों में शामिल चिकित्सकों को संरक्षण के लिए ‘व्यापक आदेश’ पारित नहीं कर सकते : न्यायालय
प्रदर्शनों में शामिल चिकित्सकों को संरक्षण के लिए ‘व्यापक आदेश’ पारित नहीं कर सकते : न्यायालय
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के बाद विरोध प्रदर्शन में शामिल चिकित्सकों को संरक्षण देने के लिए ‘‘व्यापक आदेश’’ पारित नहीं कर सकता।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि कोई भी आदेश पारित करना पुलिस के अधिकार में हस्तक्षेप होगा।
न्यायालय ने कहा कि इस मामले की सुनवाई ‘‘टुकड़ों’’ में नहीं की जा सकती और वह इस मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के पक्ष में है।
पीठ ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘हम इतनी सारी समस्याओं से जूझ रहे हैं और इसका कोई अंत नहीं है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के लिए विरोध प्रदर्शनों की निगरानी करना आसान है। क्या हमारे लिए दिल्ली में बैठकर कोलकाता में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की निगरानी करना संभव है?’’
उसने कहा, ‘‘हम चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए व्यापक आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? पुलिस को आपको बुलाने का अधिकार है।’’
शीर्ष अदालत ने जूनियर और सीनियर चिकित्सकों के एक संघ का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित मामलों की एक तालिका प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान नंदी ने दलील दी कि प्रदर्शनकारी चिकित्सकों को पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा है और उन्हें बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।
उन्होंने शीर्ष अदालत से चिकित्सकों को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश देने का अनुरोध किया।
अब इस मामले की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद होगी।
पिछले साल नौ अगस्त को आरजी कर अस्पताल के सेमिनार कक्ष में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक का शव मिला था। कोलकाता पुलिस ने अगले दिन एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया था।
इस जघन्य अपराध के बाद देश भर में आक्रोश फैल गया था और पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए थे।
कोलकाता की एक निचली अदालत ने 20 जनवरी को इस मामले में दोषी रॉय को ‘‘मृत्यु तक आजीवन कारावास’’ की सजा सुनाई।
भाषा
गोला पवनेश
पवनेश

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