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नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) भाजपा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगली जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने के केंद्र के फैसले ने नरेन्द्र मोदी सरकार के ‘‘असली इरादों’’ और कांग्रेस की ‘‘खोखली नारेबाजी’’ के बीच के अंतर को उजागर किया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस कदम को ‘‘पासा पलटने वाला फैसला’’ बताया।
हालांकि, कांग्रेस और इसके कई सहयोगी दलों ने दावा किया है कि उनके अभियान चलाने के कारण सरकार ने यह कदम उठाया है।
वरिष्ठ भाजपा नेता प्रधान ने ऐसे दावों को खारिज करते हुए कांग्रेस पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से लेकर अपने लंबे शासन के दौरान सामाजिक न्याय के लक्ष्य में बाधा डालने का आरोप लगाया।
कांग्रेस पर काका कालेलकर समिति और मंडल आयोग की रिपोर्ट पर कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए प्रधान ने कहा, ‘‘कांग्रेस की राजनीति हमेशा से ही अपने सत्ताधारी परिवार और सत्ता के इर्द-गिर्द घूमती रही है। पिछड़े वर्गों के अधिकारों की बात जब भी उठी तो वे असहज हो गए, क्योंकि उन्हें कभी भी सामाजिक न्याय की परवाह नहीं रही।’’
प्रधान ने कहा कि कांग्रेस के विपरीत, भाजपा सामाजिक न्याय के एजेंडे से प्रेरित रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र और राज्यों सहित विभिन्न स्तरों पर तथा मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों जैसे प्रमुख पदों पर हाशिए पर पड़े समुदायों का महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण फैसले ने हमारे असली इरादों और विपक्ष की खोखली नारेबाजी के बीच के अंतर को उजागर किया है। हालांकि अधिकतर विपक्षी दलों ने इसका स्वागत किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जातिगत गणना का यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ मोदी सरकार का मार्गदर्शक दृष्टिकोण रहा है। हमारे सभी कार्यक्रमों और योजनाओं का मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय रहा है। समाज के सभी वर्गों को वैज्ञानिक तरीके से लाभ, सुविधाएं और सहूलियत प्रदान करना हमारा उद्देश्य रहा है।’’
कांग्रेस ने अपने नेता राहुल गांधी को इस बात का श्रेय दिया है कि जाति जनगणना की मांग को लेकर उनके लंबे अभियान के बाद सरकार ने यह फैसला किया है। इस पर प्रधान ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष, खासकर गांधी परिवार, बार-बार चुनावी हार के बावजूद ‘‘अहंकार और पाखंड’’ में डूबा हुआ है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी सामाजिक न्याय के विरोधी हैं और केवल राजनीतिक लाभ के लिए इसके बारे में बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने लगभग एक साल पहले जाति जनगणना पर सरकार के सकारात्मक रुख के बारे में संकेत दिया था।
सरकार ने एक बड़े फैसले के तहत बुधवार को घोषणा की कि आगामी जनगणना में जाति गणना को ‘‘पारदर्शी’’ तरीके से शामिल किया जाएगा।
सरकार ने यह घोषणा करते हुए जाति सर्वेक्षणों को ‘‘राजनीतिक उपकरण’’ के रूप में इस्तेमाल करने के लिए विपक्षी दलों की आलोचना की।
कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दल देश भर में जाति जनगणना की मांग करते रहे हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया है। बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ राज्य पहले ही ऐसे सर्वेक्षण कर चुके हैं।
प्रधान ने जाति जनगणना की घोषणा का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर हमला बोला।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘जब कल यह फैसला लिया गया, तो कुछ लोग नाराज हो गए। ऐसे लोगों का कहना था, ‘सरकार उनकी (सत्तारूढ़ पार्टी) है, लेकिन व्यवस्था हमारी (विपक्ष की) है।’’
प्रधान ने कहा, ‘‘सामाजिक न्याय को पटरी पर लाने के लिए 1977 की जनता पार्टी सरकार के तहत मंडल आयोग का गठन किया गया था। भाजपा का पूर्ववर्ती जनसंघ इस सरकार का हिस्सा था।’’
मंत्री ने कहा कि मंडल आयोग की रिपोर्ट 10 साल तक ‘‘कालकोठरी में बंद’’ रही। उन्होंने पूछा, ‘‘तब सरकार और व्यवस्था किसके हाथ में थी?’’
प्रधान ने पूछा, ‘‘जब मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की गईं, तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव (गांधी) जी का क्या बयान था? कांग्रेस का क्या रुख था?’’
उन्होंने कहा कि ‘‘सरकार उनकी है लेकिन व्यवस्था हमारी है’’ कहने वालों का अहंकार और पाखंड स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा है।
राहुल गांधी ने सरकार के अचानक लिए गए फैसले का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा था कि केंद्र को इसके क्रियान्वयन के लिए समयसीमा तय करनी चाहिए।
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश