Bangladesh Violence: बांग्लादेश की हिंसा ने बढ़ाई भारत की टेंशन! सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
बांग्लादेश की हिंसा ने बढ़ाई भारत की टेंशन! सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक, Central government called all-party meeting regarding Bangladesh violence
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नई दिल्लीः Bangladesh Violence बांग्लादेश में बिगड़ते हालात ने भारत की भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसी बीच अब केंद्र सरकार ने नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक में विदेशमंत्री एस जयशंकर बांग्लादेश के राजनीतिक हालातों पर ब्रीफिंग देंगे। सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रियों के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत विपक्षी दलों के बड़े नेता मौजूद रहेंगे। बांग्लादेश की स्थिति पर सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री जयशंकर और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।
भारत विरोधी ताकतों के पनपने की आशंका
Bangladesh Violence बांग्लादेश में आर्मी ने शासन संभाल लिया है। वहां के आर्मी चीफ ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है। खबरें हैं कि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को इस अंतरिक सरकार में शामिल नहीं किया जाएगा। जो दो पार्टियां सरकार में शामिल हो रही हैं वह हैं, बांग्लादेश नेशनल पार्टी और जमात-ए-इस्लामी। यह दोनों भारत को लेकर जहर उगलने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। जमात-ए-इस्लामी का तो पाकिस्तान से जुड़ाव जगजाहिर है। वहीं, बांग्लादेश नेशनल पार्टी को जब भी मौका मिला है भारत के खिलाफ नकारात्मक बातें कहीं हैं। शेख हसीना ने प्रधानमंत्री रहते हुए भारत विरोधी ताकतों पर लगाम लगा रखा था। लेकिन अब हालात कैसे होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता है। यह भी देखना होगा कि भारत विरोधी ताकतें बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में न करें।
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बॉर्डर पर कैसे होंगे हालात
भारत और बांग्लादेश की सीमा करीब 4000 किमी लंबी है। जब तक शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं, भारत बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहा। इस दौरान उसने देश में विकास और आर्थिक उन्नति पर ध्यान दिया। लेकिन हालात बदलने के बाद अब बॉर्डर को लेकर एहतियात बढ़ाना होगा। खासतौर पर यह देखते हुए कि ड्रग्स, मानव तस्करी और नकली नोटों का खतरा यहां पर लगातार मंडराता रहता है। भारत की चिंता रहेगी कि बांग्लादेश की नई सरकार इन चीजों को कैसे हैंडल करती है।

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