Chamoli disaster in Uttarakhand : उत्तराखंड में चमोली आपदा भारी हिमस्खलन का नतीजा थी : अध्ययन

Chamoli disaster in Uttarakhand : उत्तराखंड में चमोली आपदा भारी हिमस्खलन का नतीजा थी : अध्ययन

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  • Publish Date - June 11, 2021 / 07:17 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:27 PM IST

Chamoli disaster in Uttarakhand : नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी को आयी आपदा एक हिमस्खलन का नतीजा थी जिससे नजदीक के रोंती पर्वत से 2.7 करोड़ क्यूबिक मीटर की चट्टान और हिमनद बर्फ गिरी थी। इस आपदा में 200 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल के अध्ययन में यह बात कही गयी है।

इस क्षेत्र में इस साल सात फरवरी को मानवीय आपदा आयी जब मलबा और पानी रोंती गाड, ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी घाटियों में गिरा। इस आपदा की वजह और इसके असर का पता लगाने के लिए 53 वैज्ञानिकों का एक वैश्विक दल आगे आया था।

अनुसंधानकर्ताओं में नयी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और आईआईटी, इंदौर के अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे। उन्होंने पता लगाया कि चट्टान और हिमनद बर्फ के गिरने से बाढ़ आयी।

पत्रिका ‘साइंस’ में बृहस्पतिवार को प्रकाशित इस अध्ययन से पता लगता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही है और यह संवेदनशील वातावरण में बढ़ती विकास परियोजनाओं के खतरे को रेखांकित करती है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि चट्टान और हिमस्खलन तेजी से अत्यधिक बड़े मलबे में बदल गए। इस अनुसंधान के नतीजों से शोधकर्ताओं तथा नीति निर्माताओं को इस क्षेत्र में पैदा हो रहे खतरों को बेहतर तरीके से पहचानने में मदद मिलेगी।

इस अध्ययन में उपग्रह से ली गई तस्वीरें, भूकंपीय रिकॉर्ड और प्रत्यक्षदर्शियों की वीडियो का इस्तेमाल किया गया।

अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के एक अनुसंधानकर्मी और अध्ययन के सह-लेखक शशांक भूषण ने कहा, ‘‘हमने अपने फ्रांसिसी साथियों के साथ घटना के कुछ दिनों के भीतर उपग्रह से ली गई तस्वीरें एकत्रित करने पर काम किया और घटनास्थल का विस्तृत मानचित्र बनाया।’’

अनुसंधानकर्ताओं ने तस्वीरों और मानचित्र की घटना के बाद और पहले के घटनाक्रम से तुलना की ताकि सभी बदलावों और घटनाक्रम का पता लगाया जाए।

कनाडा में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगरी के सहायक प्रोफेसर एवं अध्ययन के मुख्य लेखक डैन शुगर ने कहा, ‘‘हमने एक ढलान पर संदिग्ध काले गुबार पर धूल और पानी के ढेर का पता लगाया।’’ यह काला गुबार हिमस्खलन का 3.5 करोड़ घन गज का हिस्सा निकला।

भाषा

गोला शाहिद

शाहिद