बदलते परिदृश्य में विदेश नीति में बदलाव की जरूरत: जयशंकर

बदलते परिदृश्य में विदेश नीति में बदलाव की जरूरत: जयशंकर

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Modified Date: December 15, 2024 / 09:51 PM IST
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Published Date: December 15, 2024 9:51 pm IST

(फोटो सहित)

नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बदलते परिदृश्य के बीच विदेश नीति में बदलाव की जरूरत को रेखांकित करते हुए रविवार को कहा कि ‘‘विकसित भारत के लिए एक विदेश नीति’’ होनी चाहिए।

‘इंडियाज वर्ल्ड’ पत्रिका के विमोचन के अवसर पर अपने संबोधन में जयशंकर ने यह भी कहा, ‘‘जब हम विदेश नीति बदलने की बात करते हैं, अगर नेहरू के बाद की बात होती है, तो इसे राजनीतिक हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।’’

विदेश नीति विशेषज्ञ सी राजा मोहन पत्रिका के संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

विदेश मंत्री ने कहा कि ‘‘चार बड़े कारक’’ हैं जिनके कारण भारत के लोगों को वास्तव में खुद से पूछना चाहिए कि ‘‘विदेश नीति में कौन से बदलाव आवश्यक हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संयोगवश, मुझे कल इसके बारे में बोलने का मौका मिला। कई वर्षों तक हमारे पास जो था, उसे किसी और ने बहुत ही सारगर्भित ढंग से ‘नेहरू डेवलपमेंट मॉडल’ के रूप में प्रस्तुत किया था। इस पुस्तक का विमोचन कल डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने किया।’’

जयशंकर ने शनिवार को ‘द नेहरू डेवलपमेंट मॉडल’ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर डिजिटल तरीके से संबोधन में कहा कि ‘नेहरू विकास मॉडल’ ने अनिवार्य रूप से ‘नेहरू विदेश नीति’ को जन्म दिया और ‘‘हम विदेशों में इसे सही करना चाहते हैं’’, ठीक उसी तरह जैसे घर में मॉडल के परिणामों को ‘‘सुधारने’’ के प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने रविवार के कार्यक्रम में अपने संबोधन में दोहराया कि ‘नेहरू विकास मॉडल’ ने ‘नेहरू विदेश नीति’ को जन्म दिया। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘मेरा मतलब स्पष्ट था। यह सिर्फ हमारे देश में ही नहीं हो रहा था। 1940, 1950, 1960 और 1970 के दशक में अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य द्विध्रुवीय था। फिर एकध्रुवीय परिदृश्य था। और, ये दोनों परिदृश्य भी बदल गए हैं।’’

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पिछले दो दशकों में ‘‘बहुत तेज वैश्वीकरण’’ हुआ, देशों के बीच एक मजबूत अंतर-निर्भरता की स्थिति बनी है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘एक तरह से रिश्ते, एक-दूसरे के प्रति देशों का व्यवहार बदल गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यदि घरेलू मॉडल, परिदृश्य बदल गया है, यदि देशों के व्यवहार पैटर्न, विदेश नीतियों के साधन बदल गए हैं, तो विदेश नीति एक जैसी कैसे रह सकती है?’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘इसलिए, मैं कहना चाहता हूं कि जब हम विदेश नीति बदलने की बात करते हैं, अगर नेहरू के बाद की अवधारणा की बात होती है, तो इसे राजनीतिक हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। मेरा मतलब है, इसे करने के लिए नरेन्द्र मोदी की जरूरत नहीं थी, नरसिम्हा राव ने इसकी शुरुआत की थी।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगता है कि हमें जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। हमें यथार्थवादी होने की जरूरत है।’’ अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि विकसित भारत को लेकर एक दृष्टिकोण के लिए एक विदेश नीति की जरूरत है।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)