ED sent summons to CM Hemant Soren

यहां बढ़ सकती हैं मुख्यमंत्री की मुश्किलें, ED ने भेजा समन, इस दिन होगी पूछताछ

ED sent summons to CM Hemant Soren : प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने झारखंड में जमीन हथियाने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को

Edited By :   Modified Date:  August 8, 2023 / 07:00 PM IST, Published Date : August 8, 2023/7:00 pm IST

नई दिल्ली : ED sent summons to CM Hemant Soren : प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने झारखंड में जमीन हथियाने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया है। सोरेन को ED ने पूछताछ के लिए 14 अगस्त को बुलाया है। ये दूसरी बार है जब ED हेमंत सोरेन से पूछताछ करेगी। इससे पहले नवंबर 2022 में एजेंसी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अवैध खनन मामले में पूछताछ की थी। यानी दो अलग-अलग मामलों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एजेंसी की जांच के दायरे में हैं। इस मामले में ED एक IAS अधिकारी समेत 11 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।

गिरफ्तार आरोपियों के नाम IAS छवि रंजन, अमित अग्रवाल, दिलीप घोष, विष्णु कुमार अग्रवाल, अफसर अली, इम्तियाज़ अहमद, प्रदीप बागची, मोहम्मद सद्दाम हुसैन, तल्हा खान, भानू प्रताप प्रसाद और फैयाज खान है। सभी गिरफ्तार आरोपी अधिकारी, व्यापारी, वकील और बिचौलिये हैं, जो जमीनों पर कब्जा कर फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दिया करते थे। इस काम में इनकी मदद IAS छवि रंजन कर रहे थे।

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1932 के दस्तावेजों से करते थे जमीन पर कब्जा

ED sent summons to CM Hemant Soren :  हैरानी की बात ये है कि ये आरोपी साल 1932 के जमीन के दस्तावेज बना लोगों की जमीनों को कब्जा लिया करते थे और पीड़ितों को कहते थे उनकी ज़मीनें तो उनके पिता या दादा बेच कर जा चुके हैं। इन आरोपियों ने सेना को लीज पर दी गई जमीन को भी धोखे से कब्जा कर दूसरी जगह बेच दिया थी।

एजेंसी ने इनके पास से सैकड़ों की तादाद में फर्जी डीड बरामद की। इस मामले में IAS छवि रंजन पर भी इनकी मदद करने के आरोप हैं और इसलिए ED ने उस पर छापेमारी की और बाद में गिरफ्तार किया. ये मामला झारखंड का है लेकिन इसके तार बिहार और कोलकाता तक जुड़े हैं।

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ऐसे हुआ मामले का खुलासा

ED sent summons to CM Hemant Soren :  दरअसल आरोपी जमीन कब्जाने के लिए आजादी से पहले के दस्तावेज़ों का हवाला देकर और 1932 के दस्तावेज बनाकर जमीन पर कब्जा करते थे। वह कहते थे कि जब पूरा पश्चिम बंगाल था जिसमें बिहार और झारखंड का हिस्सा था तब से जमीन उनके पास है, जिसमें प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह की जमीनें शामिल हैं।

एजेंसी ने इनके पास से बरामद दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच करवाई तो मालूम चला कि सभी दस्तावेज फर्जी हैं। जिन जिलों के नाम आजादी से पहले नहीं होते थे उस पते पर आजादी से पहले के दस्तावेज, पिन नंबर 1970 के दशक में आया लेकिन पुराने दस्तावेजों में पिन नंबर लिखा जाना। इस तरह की छोटी-छोटी गलतियों के बाद इन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

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