नागरिकों को तिरंगे में निहित प्रतीकात्मक गुणों को आत्मसात करना चाहिए : केंद्रीय कानून मंत्री

नागरिकों को तिरंगे में निहित प्रतीकात्मक गुणों को आत्मसात करना चाहिए : केंद्रीय कानून मंत्री

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  • Publish Date - August 15, 2025 / 02:01 PM IST,
    Updated On - August 15, 2025 / 02:01 PM IST

नयी दिल्ली, 15 अगस्त (भाषा) केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को कहा कि नागरिकों को तिरंगे में निहित समानता, करुणा और भाईचारे जैसे प्रतीकात्मक गुणों को आत्मसात करना चाहिए।

मेघवाल ने यहां उच्चतम न्यायालय परिसर में आयोजित 79वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि संविधान सभा ने देश का ध्वज चुनने के लिए एक अस्थायी समिति बनाई थी, जिसके लिए रंगों और अन्य विशेषताओं का निर्णय करना था।

मेघवाल ने कहा, ‘‘तीन रंग और अन्य बातें तो सामान्य रूप से तय हो गईं। लेकिन बीच में एक चरखा था, जिस पर सदस्य बी. आर. आंबेडकर ने यह कहते हुए आपत्ति जतायी कि यह किसी राजनीतिक दल का झंडा प्रतीत होगा। इस पर विवाद हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब आंबेडकर ने तर्क दिया, तो उन्हें समझाया गया कि चरखे का मतलब है चौबीसों घंटे काम करके प्रगति करना, जिस पर उन्होंने कहा कि अशोक चक्र या धम्म चक्र का भी वही अर्थ है, जिसमें इसकी 24 तीलियां निरंतर गति, काम और प्रगति का संकेत देती हैं।’’

उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने समिति को यह भी समझाया कि 24 तीलियों में से प्रत्येक अलग-अलग गुणों और सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करती है।

केंद्रीय मंत्रियों ने उपस्थित लोगों की जोरदार तालियों के बीच कहा, ‘‘मैंने इसके बारे में एक लेख भी लिखा है – एक तीली करुणा का प्रतिनिधित्व करती है, दूसरी दया, भाईचारा, समानता और सभी के लिए न्याय का। एक तीली विपरीत परिस्थितियों का धैर्य के साथ सामना करने का भी प्रतिनिधित्व करती है – ठीक वैसे ही जैसे हम सभी भारी बारिश और तूफान के बावजूद इस स्वतंत्रता दिवस समारोह का जश्न मना रहे हैं।’’

मेघवाल ने कहा कि नागरिकों को भारतीय ध्वज के प्रतीकात्मक सद्गुणों और गुणों को अपने अंदर समाहित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें समानता, दया, करुणा और भाईचारा अपने अंदर समाहित करना चाहिए। हमें ध्वज से सीखना चाहिए।’’

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय नागरिकों को उपलब्ध स्वतंत्रता का रक्षक है, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सुरक्षा, संस्कृति, धर्म और विविधता शामिल हैं।

भाषा

गोला नरेश

नरेश