अदालत में हंगामा करने के लिए अधिवक्ता के आचरण की निंदा की

अदालत में हंगामा करने के लिए अधिवक्ता के आचरण की निंदा की

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  • Publish Date - July 26, 2025 / 11:16 PM IST,
    Updated On - July 26, 2025 / 11:16 PM IST

प्रयागराज, 26 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अधिवक्ता के मुवक्किल की जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद अदालत कक्ष में हंगामा करने वाले अधिवक्ता के आचरण की निंदा की है।

न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने 21 जुलाई को पारित आदेश में अदालत में अधिवक्ताओं की दोहरी जिम्मेदारी रेखांकित की जिसमें पहली जिम्मेदारी अदालत में एक सम्मानजनक एवं अनुकूल वातावरण बनाए रखना, जबकि दूसरी जिम्मेदारी शालीनता के साथ अपने मुवक्किल की पैरवी करना है।

अदालत ने कहा कि अधिवक्ताओं को व्यवधान पैदा करने के बजाय अदालत का सहयोग करना चाहिए ताकि सुनवाई व्यवस्थित ढंग से और सम्मानजनक तरीके से चले और अंततः न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बनी रहे।

अदालत दुष्कर्म के एक मामले में सचिन गुप्ता नाम के एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। संबंधित पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी और निचली अदालत को तेजी से सुनवाई करने का निर्देश दिया।

हालांकि, अदालत ने पाया कि जमानत याचिका खारिज किए जाने का निर्णय सुनाए जाने के बावजूद याचिकाकर्ता के वकील ने बहस जारी रखी और कहा कि उनके मुवक्किल की जमानत का मामला बनता है। इस तरह से, उन्होंने अदालत की कार्यवाही में अवरोध उत्पन्न किया।

न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने कहा, ‘‘आदेश पारित करने के बाद इस अदालत की कार्यवाही में किसी को भी हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है।’’ उन्होंने स्पष्ट रूप से अधिवक्ता के आचरण की निंदा की।

भाषा राजेंद्र शोभना

शोभना