Mallikarjun Kharge demands resignation from Union Home Minister Amit Shah| Photo Credit: ANI
Mallikarjun Kharge on One Nation-One Election: नई दिल्ली। एक देश, एक चुनाव के विधेयक को गुरुवार को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। लेकिन, विपक्ष लगातार इसपर आपत्ति जता रहा है। कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए सवाल किया है कि अगर केंद्र ने विश्वास मत खो दिया तो क्या सभी राज्यों की सरकार को भंग किया जाएगा? वहींं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का वन नेशन-वन इलेक्शन पर बयान सामने आया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, “उस बिल में क्या है, वो हम देखेंगे। वन नेशन-वन इलेक्शन किस तरह से करते हैं और उसका विवरण क्या है। यह सब देखने के बाद प्रतिक्रिया देंगे।” उन्होंने आगे कहा, “यह हमने कहा था कि संविधान पर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि असंवैधानिक चीज़े बहुत चल रही हैं। देश में शासन ठीक नहीं है, इसलिए हम चाहते थे कि संविधान पर बहस हो ताकि सबको मालूम हो जाए कि सरकार का शासन किस ढंग से चल रहा है और लोगों को संविधान के तहत उनके हक मिल रहे हैं या नहीं।”
#WATCH दिल्ली: वन नेशन-वन इलेक्शन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “उस बिल में क्या है, वो हम देखेंगे…वन नेशन-वन इलेक्शन किस तरह से करते हैं और उसका विवरण क्या है। यह सब देखने के बाद प्रतिक्रिया देंगे…”
उन्होंने आगे कहा, “यह हमने कहा था कि संविधान पर चर्चा होनी… pic.twitter.com/eZKAWRzMdS
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 13, 2024
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वे बिल का विवरण देखने के बाद ही प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने संविधान पर चर्चा की जरूरत पर भी जोर दिया और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
वन नेशन-वन इलेक्शन का उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है ताकि चुनाव प्रक्रिया सरल हो और खर्च में कमी आए।
खरगे ने कहा कि देश में असंवैधानिक गतिविधियां बढ़ रही हैं और सरकार का शासन ठीक तरीके से नहीं चल रहा है। इसलिए, संविधान पर बहस जरूरी है ताकि जनता अपने अधिकारों और सरकार की जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से समझ सके।
कांग्रेस ने अभी तक इस पर अपनी स्पष्ट स्थिति नहीं दी है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि वे बिल का अध्ययन करने के बाद ही कोई निर्णय लेंगे।
इस मॉडल पर विवाद इसलिए है क्योंकि यह भारत के संघीय ढांचे, राज्यों के अधिकारों और चुनावी प्रक्रिया पर प्रभाव डाल सकता है। विपक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए चुनौती मानता है।