Lok Sabha Elections 2024 : इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की होगी बेइज्जती! लोकसभा चुनाव में इस मामले पर फंसेगा पेंच, एक क्लिक में जानें कारण

Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग में ही विपक्षी गठबंधन उलझ गया है। सीट शेयरिंग पर पेच फंसता हुआ नजर आ रहा है।

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  • Publish Date - January 5, 2024 / 08:11 PM IST,
    Updated On - January 5, 2024 / 08:11 PM IST

Lok Sabha Elections 2024

पटना: Lok Sabha Elections 2024 : देश में कुछ महीनों बाद लोकसभा चुनाव होने वाले है। लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग में ही विपक्षी गठबंधन उलझ गया है। सीट शेयरिंग पर पेच फंसता हुआ नजर आ रहा है। सीटों के बंटवारे में सबसे अधिक मुसीबत कांग्रेस के सामने आई है। हाल ही में तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हार चुकी कांग्रेस की स्थिति यह है कि उसे सहयोगी उसकी मुराद पूरी करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। इसके उलट जिस तरह कांग्रेस को बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में इंडिया गठबंधन के साथी उम्मीद से कम सीटें ऑफर कर रही है। यह हाल उस राष्ट्रीय पार्टी का है, जिसने 1984 के लोकसभा चुनाव में 404 सीटें जीतकर रेकॉर्ड बनाया था। अब कांग्रेस राज्यों में गिनी-चुनी सीटें मांग रही है, उसे भी सहयोगी दलों की ओर से दरकिनार किया जा रहा है।

कांग्रेस के सामने असमंजस यह है कि वह क्षेत्रीय दलों के प्रस्तावों को ठुकराने की स्थिति में नहीं है। अगर वह क्षेत्रीय दलों के प्रस्ताव को ठुकराकर अकेले दम पर चुनाव में उतरती है तो गद्दारी का ठप्पा लग सकता है। पंजाब जैसे राज्य में स्थानीय नेता किसी तरह के गठबंधन को खुदकुशी मान रहे हैं, फिर भी केंद्रीय नेतृत्व खामोश है।

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कांग्रेस नेताओं की बैठक में रणनीति को लेकर हुई चर्चा

Lok Sabha Elections 2024 : गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस नेताओं की बैठक हुई, जिसमें लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर चर्चा हुई। घोषणा पत्र और सीट बंटवारे पर भी पार्टी नेताओं ने बात की। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने जीत की संभावना वाली 255 सीटों पर फोकस करने की सलाह दी। आजादी के बाद से यह पहला मौका होगा, जब कांग्रेस इतनी कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा कांग्रेस की बैठक में राहुल गांधी के भारत न्याय यात्रा को अंतिम रूप दिया गया। फिर राज्य इकाइयों से सीटों की संख्या मांगी गई। कांग्रेस की चर्चा से पहले ही इंडिया के क्षेत्रीय दल अपने हिस्से की दावेदारी क्लियर कर चुके हैं। बिहार में नीतीश कुमार, झारखंड में हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) अपने पत्ते खोल चुकी है। पश्चिम बंगाल में सीटों के बंटवारे को लेकर टीएमसी की ओर से दिए गए दो सीटों के प्रस्ताव से अधीर रंजन चौधरी भी भड़क गए।

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इन राज्यों में फंस रही कांग्रेस

असम, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ सकती है। मगर इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को गुजरात में आम आदमी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग करनी पड़ेगी। राजस्थान, मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी समाजवादी पार्टी हिस्सेदार बन सकती है। सबसे बड़ा पेंच 42 सीट वाले पश्चिम बंगाल, 40 सीट वाले बिहार, 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश और 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में फंसा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बिहार के 9 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। कांग्रेस ने झारखंड में सात और महाराष्ट्र की 25 लोकसभा सीट पर उम्मीदवार खड़े किए थे। बंगाल में पार्टी 42 सीटों पर लड़ी मगर दो सीट ही जीत सकी थी। अब इंडिया के सहयोगी दल 2019 लोकसभा चुनाव में हार-जीत के आधार पर सीट शेयरिंग फार्मूला लेकर आए हैं, जो कांग्रेस को ज्यादा परेशान कर रही है।

इन तीन राज्यों में कुल 8 सीट पर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस

Lok Sabha Elections 2024 : पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सिर्फ मुर्शिदाबाद और मालदा में जीत हासिल की थी, इसलिए ममता बनर्जी ने दो सीटें ऑफर कीं। कांग्रेस बंगाल की 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। ममता बनर्जी पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि टीएमसी इंडिया में बनी रहेगी मगर पश्चिम बंगाल में वह अकेले बीजेपी का मुकाबला करेगी। उनके इस बयान से अधीर रंजन भड़क गए और कहा कि टीएमसी से भीख मांगने कौन गया है? उन्होंने ममता बनर्जी पर नरेंद्र मोदी की सेवा करने का आरोप भी जड़ दिया था। चर्चा है कि अब टीएमसी चार सीट देने पर विचार कर रही है, जो कांग्रेस के उम्मीद से काफी कम है। ऐसा ही हाल बिहार में है, जहां कांग्रेस ने 8 सीटों पर दावेदारी की है। जबकि इंडिया के संयोजक पद पर दावा ठोकने वाली जेडी यू अपने हिस्से में बिहार की 17 लोकसभा सीटें रखना चाहती है। अभी यह चर्चा चल रही है कि जेडी यू और आरजेडी 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बाकी बची चार सीटों पर कांग्रेस और लेफ्ट के लिए छोड़ी जाएगी। इस लिहाज से कांग्रेस के खाते में दो सीटें ही आएंगी। झारखंड में कांग्रेस ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है। झारखंड मुक्ति मोर्चा और आरजेडी से सीट बंटवारे के बाद पार्टी को दो सीटों मिलने का अनुमान है।

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महाराष्ट्र की 48 सीटों पर चार दावेदार

महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) ने 23 सीटों पर दावा ठोका है, जबकि कांग्रेस 20 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। वहां इंडिया के तीसरे सहयोगी शरद गुट की एनसीपी और वंचित बहुजन अघाड़ी भी है। महाराष्ट्र में कांग्रेस को अधिकतम 15 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने दो सीटों पर चुनाव लड़ने की ख्वाहिश जाहिर की है। एनसीपी और पीडीपी पहले ही 3-3 सीटों पर अड़ी है। कांग्रेस ने तमिलनाडु में 8 और केरल में 16 लोकसभा सीटों पर दावा ठोका है। सबसे बड़ा पेच दिल्ली और पंजाब में फंसा है। कांग्रेस दिल्ली में तीन और पंजाब में 6 लोकसभा सीट की डिमांड कर रही है। पार्टी की राज्य इकाइयां आम आदमी पार्टी से गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ‘एक थी कांग्रेस’वाला बयान देकर संकेत दे चुके हैं। सूत्रों के अनुसार, आम आदमी पार्टी पंजाब की 10 और दिल्ली की सभी 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। अगर सीट शेयरिंग पर जल्द फैसला नहीं होता है तो आम आदमी पार्टी अपने कैंडिडेट की घोषणा कर देगी।

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यूपी में कैसा रहेगा कांग्रेस का हाल

Lok Sabha Elections 2024 : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कमलनाथ ने ‘अखिलेश-वखिलेश को छोड़ो’ वाला बयान दिया था। तब समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के रवैये पर नाराजगी जाहिर की थी। अब यूपी में अखिलेश यादव सीट बंटवारे को लेकर पत्ते फेंट रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने साफ किया है कि वह 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस और आरएलडी के लिए 15 सीटें छोड़ेगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन ने चार सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 21 सीटों पर दावेदारी कर रही है, जो उसने 2009 में जीते थे। 2014 के चुनाव में अखिलेश यादव ने बीएसपी को 38 सीटें दी थीं, मगर अब कांग्रेस को 15 सीट देने को राजी नहीं है। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 70 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे, मगर रायबरेली की एक सीट ही जीत सकी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के गठबंधन तोड़ने पर अखिलेश यादव ने कहा था कि गठबंधन से सपा के वोट कांग्रेस को ट्रांसफर हो जाते हैं, लेकिन कांग्रेस का वोट सपा को नहीं मिलता है। कांग्रेस के साथ गठबंधन से समाजवादी पार्टी को कोई फायदा नहीं होता है।

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