न्यायालय ने पेरारीवलन की पेरोल अवधि मेडिकल जांच के लिये एक सप्ताह और बढ़ाई

न्यायालय ने पेरारीवलन की पेरोल अवधि मेडिकल जांच के लिये एक सप्ताह और बढ़ाई

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  • Publish Date - November 23, 2020 / 01:48 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:02 PM IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे ए जी पेरारीवलन की पैरोल की अवधि सोमवार को एक हफ्ते के लिए बढ़ा दी ताकि वह अपनी डॉक्टरी जांच करा सके।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने साथ ही तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया कि मेडिकल परीक्षण के लिये अस्पताल जाते समय पेरारीवलन को पुलिस सुरक्षा मुहैया करायी जाये।

पेरारीवलन को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा दी गयी पैरोल की अवधि सोमवार को खत्म हो रही थी और अब यह एक हफ्ते बढ़ गई है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम,जैसा की अनुरोध किया गया है, याचिकाकर्ता की पेरोल की अवधि आज से एक सप्ताह के लिये बढ़ा रहे हैं और प्रतिवादी तमिलनाडु सरकार को निर्देश देते हैं कि वह अस्पताल में उपचार के लिये जाने पर उसे आवश्यक पुलिस सुरक्षा दे। मामले को 19 जनवरी, 2021 को सूचीबद्ध किया जाये।’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि वह क्षमा देने के मुद्दे पर जनवरी में गौर करेगा जब इस मामले का अंतिम रूप से निस्तारण किया जायेगा।

न्यायालय ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह याचिका में उठाये गये सभी बिन्दुओं पर सुनवाई की अगली तारीख पर अपना पक्ष रखें।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने नौ से 23 नवंबर तक उसकी पेरोल की अवधि बढ़ाई थी लेकिन पुलिस सुरक्षा नहीं होने की वजह से वह डाक्टर से मिलने नहीं जा सका।

सीबीआई ने 20 नवम्बर को दाखिल अपने 24 पेज के हलफनामे में न्यायालय से कहा है कि पेरारीवलन को माफी देने के मुद्दे पर तमिलनाडु के राज्यपाल को फैसला करना है।

इससे पहले, न्यायालय ने तीन नवंबर को सुनवाई के दौरान राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी पेरारीवलन की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से भी ज्यादा समय से लंबित होने पर नाराजगी व्यक्त की थी।

सीबीआई ने कहा था कि पेरारीवलन सीबीआई के नेतृत्व वाली ‘मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) द्वारा की जा रही और जांच का विषय नहीं है। एमडीएमए जैन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ‘बड़ी साजिश’ के पहलू की जांच कर रहा है।

शीर्ष अदालत 46 वर्षीय पेरारीवलन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने एमडीएमए की जांच पूरी होने तक मामले में उसकी आजीवन कारावास की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया है।

भाषा अनूप

अनूप पवनेश

पवनेश