चेन्नई, 12 फरवरी (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग द्वारा अन्नाद्रमुक के आंतरिक विवादों की जांच करने का रास्ता साफ करते हुए उस पर लगी रोक हटा ली। इन विवादों में नेतृत्व और पार्टी के चुनाव चिह्न के मुद्दे भी शामिल हैं।
इस फैसले को पार्टी के मौजूदा प्रमुख एडप्पादी के. पलानीस्वामी के लिए झटका माना जा रहा है।
न्यायमूर्ति आर सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति जी अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने अन्नाद्रमुक से निष्कासित सदस्यों पी रविन्द्रनाथ (पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के पुत्र), के सी पलानीसामी और वीए पुगाजेंथी द्वारा दायर याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया।
न्यायाधीशों ने नेतृत्व विवाद (पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम से संबंधित), दो पत्तियों वाले चुनाव चिह्न के आवंटन पर याचिकाओं और जुलाई 2022 में अन्नाद्रमुक आम परिषद के प्रस्तावों को लेकर भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) की जांच के खिलाफ रोक हटा दी।
अदालत ने पलानीस्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने नेतृत्व विवाद और अन्नाद्रमुक को ‘दो पत्ती’ वाला चुनाव चिह्न आवंटित करने जैसे मुद्दों की जांच को लेकर निर्वाचन आयोग के खिलाफ रोक लगाने का अनुरोध किया था।
पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को संबंधित याचिकाओं को तभी स्वीकार करना चाहिए जब वह संतुष्ट हो कि वह जांच के लिए उपयुक्त हैं और चुनाव निकाय को चुनाव चिह्न नियमों के तहत जांच करने का निर्देश दिया।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पुगाजेंथी ने कहा कि अदालत ने मामले में पहले के आदेश के खिलाफ ‘‘स्थगन हटा दिया है’’ और अब इस मामले में निर्वाचन आयोग द्वारा जांच करने पर कोई रोक नहीं है।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि नेतृत्व और चुनाव चिह्न आवंटन पर दीवानी मुकदमे अदालतों में लंबित होने के कारण पलानीस्वामी महासचिव पद या पार्टी के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
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देवेंद्र नरेश
नरेश