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Bhatapara Agricultural Market Crisis: भाटापारा: छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी भाटापारा कृषि उपज मंडी में हाल ही में कम आवक के कारण मजदूरों, व्यापारियों और मुंशी संघ में गंभीर चिंता पैदा हो गई है। इस मंडी में लगभग 800 पंजीकृत मजदूर काम करते हैं, साथ ही मुंशी संघ, व्यापारी एसोसिएशन और अभिकर्ता संघ भी अपनी रोज़ी-रोटी के लिए मंडी पर निर्भर हैं। पहले मंडी में एक दिन में हजारों क्विंटल उपज की आवक होती थी, लेकिन अब अचानक कम आवक से आर्थिक असंतुलन पैदा हो गया है।
Bhatapara Agricultural Market Crisis: कम आवक का मुख्य कारण कलेक्टर द्वारा दिए गए मौखिक आदेश को बताया जा रहा है। इस आदेश के अनुसार मंडी प्रशासन को किसानों की ऋण पुस्तिका और पर्ची की जांच करने के बाद ही उपज खरीदने का निर्देश दिया गया। इससे पहले यह नियम मंडी के बायलॉज या प्रशासनिक प्रक्रिया में शामिल नहीं थे। अचानक इस आदेश के लागू होने से किसानों की उपज मंडी में कम पहुंच रही है, जिससे मजदूरों की मजदूरी प्रभावित हो रही है और व्यापारियों का कामकाज भी ठप होने के कगार पर है।
Bhatapara Agricultural Market Crisis: इस परिस्थिति से मंडी से जुड़े सभी वर्ग मजदूर, व्यापारी और मुंशी परेशान हैं। मजदूरों और व्यापारियों में गुस्सा पनपने लगा है और वे अपने हक की लड़ाई को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं। इसी के चलते पंजीकृत मजदूर संघ ने एसडीएम भाटापारा को ज्ञापन सौंपा, जिसमें समस्या का त्वरित निराकरण करने का निवेदन किया गया। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।