Jabalpur GST Raid/ Image Source: IBC24
श्रीनगर, 30 दिसंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की कोशिशों को इस साल पहलगाम आतंकवादी हमले और दिल्ली कार विस्फोट के रूप में दोहरे झटके लगे।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार ने कार्यभार संभालने के शुरुआती छह महीनों में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराने के लिए हर संभव प्रयास किए, लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले ने जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली चर्चाओं पर विराम लगा दिया।
आतंकवादियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी, जिनमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय टट्टू वाला शामिल था।
जीवित बचे लोगों ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने यह पुष्टि करने के बाद लोगों को निशाना बनाया कि वे मुस्लिम नहीं थे। इसने देश के बाकी हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा कर दी।
घाटी भर में इस हमले की व्यापक निंदा हुई। 35 वर्षों में पहली बार, इसके विरोध में पूरी घाटी में स्वतःस्फूर्त प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट रूप से घोषणा की: ‘नॉट इन माई नेम’ (मेरे नाम पर नहीं)।
भारतीय सशस्त्र बलों ने सात मई को बैसारन में हुए नरसंहार का बदला लेने के लिए सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक की। इसका असर बाद के दिनों में देखा गया, जब पाकिस्तान की ओर से की गई गोलाबारी से केंद्र शासित प्रदेश के सीमावर्ती निवासी प्रभावित हुए।
सीमा पर स्थित पुंछ, राजौरी, कुपवाड़ा और बारामूला को दुश्मन की गोलाबारी का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ा, जिसमें 20 लोगों की जान चली गई और तीन दर्जन स्कूलों सहित 2,000 से अधिक ढांचे तबाह हो गए।
सरकार ने 28 जुलाई को कहा कि 22 अप्रैल के नरसंहार के दोषियों को हरवान के दाचीगाम वन क्षेत्र में ‘ऑपरेशन महादेव’ में ढेर कर दिया गया।
अभी जम्मू-कश्मीर इस नरसंहार, जवाबी कार्रवाई और बमबारी के असर से उबर ही रहा था कि वह एक प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया।
जम्मू के किश्तवाड़ में 14 अगस्त को बादल फटने से 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई। अचानक आई बाढ़ से जम्मू के साथ-साथ कश्मीर घाटी के कई इलाकों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ।
जम्मू को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि तवी नदी एक दशक से अधिक समय में पहली बार उफान आई। अचानक आई बाढ़ ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के एक बड़े हिस्से को भी क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे हफ्तों तक कश्मीर का देश के बाकी हिस्सों से सड़क संपर्क टूटा रहा।
‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल का पता चलना हैरान करने वाला थाष, जिसमें उच्च शिक्षित पुरुष युवाओं को आतंकवाद में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी बना रहे थे। नवंबर के पहले सप्ताह में जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा हरियाणा और उत्तर प्रदेश की पुलिस के साथ मिलकर की गई छापेमारी में कई डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के फरीदाबाद में एक कश्मीरी डॉक्टर के किराए के कमरे से भारी मात्रा में विस्फोटक जब्त किया गया, जबकि अनंतनाग जिले के एक मेडिकल कॉलेज के छात्रावास से हथियार और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।
जैसे ही दोषियों पर शिकंजा कसा गया, संदिग्धों शामिल डॉ. उमर नबी 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार विस्फोट में मारा गया।
जांचकर्ताओं के अनुसार, विस्फोट तब हुआ जब नबी अपने पास मौजूद विस्फोटकों को दूसरी जगह ले जाने की कोशिश कर रहा था। विस्फोट में कई अन्य लोग मारे भी गए और दर्जनों घायल हो गए।
फरीदाबाद से जब्त की गई 2,900 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री को जांच के लिए ‘केस प्रॉपर्टी’ के रूप में यहां (श्रीनगर) नौगाम लाया गया था।
हालांकि, 14 नवंबर को उस विस्फोटक में धमाका हो गया और इसने उस थाने को तबाह कर दिया जहां इसे रखा गया था, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई।
हिंसा और प्रकृति के प्रकोप की मार झेल रहा केंद्र शासित प्रदेश के पास कोष की कमी भी हुई। इसमें पर्यटन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।
साल के शुरुआती चार महीनों के दौरान घाटी पर्यटकों से गुलजार रही, लेकिन 22 अप्रैल के हमले के साथ यह सिलसिला थम गया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव ने भी सैलानियों को घाटी से दूर रखा।
कश्मीर की अर्थव्यवस्था के दूसरे मुख्य आधार, बागवानी को सेब की कटाई के अहम सीजन के दौरान बाढ़ प्रभावित जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने के कारण झटका लगा। हालांकि, रेल मंत्रालय के समय पर हस्तक्षेप ने सुनिश्चित किया कि नुकसान कम से कम हो और राजमार्ग बहाल होने तक कश्मीरी सेब ट्रेन द्वारा मुख्य बाजारों तक पहुंचें।
‘वंदे भारत’ की शुरुआत ने कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के बीच सीधा रेल संपर्क स्थापित किया।
ट्रेन ने कश्मीर यात्रा करने वाले लोगों के लिए यात्रा के समय और लागत को कम कर दिया है। इस ट्रेन का उपयोग असैन्य आबादी के लिए खाद्यान्न और सशस्त्र बलों के लिए भारी उपकरण लाने के लिए भी किया गया है।
भाषा
नोमान माधव
माधव