नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक धनशोधन मामले में शहर के व्यवसायी अमनदीप सिंह ढल की जमानत याचिका पर सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू की अवकाशकालीन पीठ ने याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया और उसे ब्रिंडको सेल्स के निदेशक ढल की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
अदालत ने पक्षकारों से मामले में लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख तय करते हुए कहा कि इस पर विस्तृत विचार की आवश्यकता है।
ढल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने इस आधार पर जमानत मांगी कि ईडी द्वारा दायर अभियोजन शिकायत (आरोप-पत्र) अधूरी थी।
ईडी के वकील ने दलील दी कि ढल की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने इसका खंडन किया।
ढल ने निचली अदालत के नौ जून के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनकी भूमिका को ‘गंभीर और चिंताजनक’ बताते हुए इस मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
निचली अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
धनशोधन का मामला सीबीआई की प्राथमिकी से उपजा है।
सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया।
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नयी आबकारी नीति लागू की, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे खत्म कर दिया।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इस मामले में आरोपी हैं।
भाषा सुरेश अविनाश
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