डब्ल्यूएफआई के प्रबंधन पर केंद्र रुख स्पष्ट करे: दिल्ली उच्च न्यायालय

डब्ल्यूएफआई के प्रबंधन पर केंद्र रुख स्पष्ट करे: दिल्ली उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - April 2, 2024 / 08:25 PM IST,
    Updated On - April 2, 2024 / 08:25 PM IST

नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र से कहा कि वह भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के मामलों के प्रबंधन के संबंध में अपना “स्पष्ट रुख” बताते हुए एक हलफनामा दायर करें।

निलंबित संस्था को चलाने वाली भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की तदर्थ समिति को भंग करने के बाद अदालत ने केंद्र से उसका रुख पूछा है।

पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने आईओए को एक हलफनामा दायर करने के लिए भी कहा, जिसमें उन परिस्थितियों का उल्लेख किया जाए जिसके तहत उसने पिछले महीने तदर्थ समिति को भंग करने का फैसला किया था।

अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखा गया। याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क दिया कि यह जरूरी था कि निलंबित महासंघ के मामलों के संचालन के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया जाए, जो तदर्थ समिति के भंग होने के कारण “नेतृत्वहीन” हो गया है।

खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने के बाद पिछले साल दिसंबर में तदर्थ समिति का गठन किया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने महासंघ द्वारा आयोजित चुनावों को रद्द कराने के लिए इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय का रुख किया।

ये याचिकाकर्ता सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के लिए पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर मंतर पर पिछले साल के विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थे।

अदालत ने कहा कि “दुर्भाग्य से”, इस मामले में दाखिल खेल मंत्रालय का हलफनामा “अस्पष्ट” था और इसमें मामले के “प्रमुख पहलुओं”, जैसे कि डब्ल्यूएफआई का निलंबन जारी रखना, तदर्थ समिति को भंग करना और इसके परिणामस्वरूप महासंघ के मामलों का प्रभारी कौन होगा, के जवाब नहीं थे।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “केंद्र को टाल-मटोल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्हें स्पष्ट रुख अपनाना होगा। आज, मैं जानना चाहता हूं कि (डब्ल्यूएफआई के) प्रशासन और प्रबंधन की क्या व्यवस्था है जो उन्होंने स्थापित की है।”

इस मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।

भाषा प्रशांत धीरज

धीरज