‘एक्स’ उपयोगकर्ता आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए मोहम्मद जुबैर से माफी मांगे : दिल्ली उच्च न्यायालय

‘एक्स’ उपयोगकर्ता आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए मोहम्मद जुबैर से माफी मांगे : दिल्ली उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - August 22, 2024 / 07:43 PM IST,
    Updated On - August 22, 2024 / 07:43 PM IST

नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के एक उपयोगकर्ता को मंच पर ‘‘आपत्तिजनक’’ टिप्पणी करने पर ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर से माफी मांगने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि लोगों को सोशल मीडिया पर संयम रखना चाहिए और यदि वे ऐसा नहीं कर पाते तो माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने उपयोगकर्ता से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर अपने हैंडल ‘एक्स’ (पूर्व में ‘ट्विटर’) पर अपना माफीनामा प्रकाशित करे और दो महीने तक उस पोस्ट को बनाए रखे।

उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया कि उपयोगकर्ता ने याचिकाकर्ता को ‘‘आक्रामक सांप्रदायिक नामों’’ से पुकारने के लिए शहर की पुलिस के समक्ष खेद व्यक्त किया है और दावा किया है कि जुबैर को आहत या अपमानित करने का उसका कोई इरादा नहीं था।

अदालत सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के साथ ऑनलाइन झगड़े के बाद जुबैर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार कर रही थी।

न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा, ‘‘उसने दुर्भाग्यपूर्ण शब्द चुने हैं। उसे अपने ट्विटर हैंडल पर माफी मांगने दीजिए… हम चाहते हैं कि लोग सोशल मीडिया पर संयम बरतें और अगर आप बहक जाते हैं तो पहली चीज जो आपको करनी है, वह है कम से कम माफी मांगना।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि उसने खेद व्यक्त किया है और कहा है कि ‘नीयत नहीं थी’, तो उसे इसके लिए प्रायश्चित करना चाहिए।’’

दिल्ली पुलिस ने 2020 में सोशल मीडिया मंच पर एक बच्ची को कथित रूप से धमकाने और प्रताड़ित करने को लेकर जुबैर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। जुबैर ने कथित तौर पर उस ट्विटर उपयोगकर्ता को जवाब दिया था जिसने ‘डिस्प्ले पिक्चर’ के रूप में अपनी बेटी के साथ एक तस्वीर लगा रखी थी।

जुबैर ने प्राथमिकी में अपने खिलाफ लगाए गए आरोप को निराधार बताया था।

इसके बाद, जब पुलिस ने जुबैर के खिलाफ मामला बंद कर दिया, तो अदालत ने जांच एजेंसी को यह बताने का निर्देश दिया कि उसने ट्विटर उपयोगकर्ता के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट को लेकर क्या कार्रवाई की है।

सुनवाई के दौरान, पुलिस के वकील ने कहा कि जांच अधिकारी को उपयोगकर्ता के बयान के आलोक में उसके खिलाफ मामला दर्ज करने का ‘‘कोई वास्तविक आधार’’ नहीं मिला और मामला अदालत पर छोड़ा जाता है।

सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने अपने बयान में पुलिस से कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करता है और सभी धार्मिक समुदायों के सदस्यों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं।

अदालत ने उपयोगकर्ता द्वारा किए गए कुछ अन्य पोस्ट पर गौर किया और कहा, ‘‘इस प्रकार के व्यक्ति को सोशल मीडिया से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए’’।

हालाँकि, पुलिस को दिए गए खेद व्यक्त करने वाले उसके बयान पर विचार किया गया और मामले में कार्यवाही बंद कर दी गई।

भाषा धीरज नेत्रपाल

नेत्रपाल