नयी दिल्ली, 24 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के उस मध्यस्थता आदेश पर रोक लगाने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया, जिसमें स्पाइसजेट और उसके प्रवर्तक अजय सिंह को मीडिया कारोबारी कलानिधि मारन को ब्याज समेत 579 करोड़ रुपये लौटाने के लिए कहा गया था।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के 31 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली सिंह और स्पाइसजेट की अपील पर मारन और उनकी कंपनी काल एयरवेज को नोटिस जारी किया और उनसे जवाब मांगा।
उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के आदेश पर रोक लगाने के आवेदन को खारिज कर दिया और अपील 31 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की।
एकल न्यायाधीश ने 31 जुलाई को मारन और उनकी कंपनी काल एयरवेज के पक्ष में 20 जुलाई, 2018 के मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को बरकरार रखा था।
एकल न्यायाधीश की पीठ ने अपने फैसले में कहा था, ‘संबंधित आदेश में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे ऐसा लगे कि इसमें कुछ गैरकानूनी है। याचिकाकर्ता यह साबित कर पाने में नाकाम रहे हैं कि मध्यस्थता निर्णय साफ तौर पर गैरकानूनी है और कानून की बुनियादी नीति के खिलाफ है।’
यह मामला जनवरी, 2015 का है जब सिंह ने मारन से बंद हो चुकी एयरलाइन को दोबारा खरीदा था। मारन के सन नेटवर्क और उनकी निवेश इकाई काल एयरवेज ने स्पाइसजेट में अपनी 58.46 प्रतिशत हिस्सेदारी सिंह को बेची थी। इस सौदे से संबंधित लेनदेन विवादों में आने पर मामला मध्यस्थता में चला गया था।
न्यायाधिकरण ने मारन से कहा था कि वह सिंह और एयरलाइन को दंडात्मक ब्याज के रूप में 29 करोड़ रुपये का भुगतान करे जबकि सिंह से कहा गया था कि वह मारन को ब्याज समेत 579 करोड़ रुपये लौटाए।
भाषा जोहेब मनीषा
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