उच्च न्यायालय ने गैर-शिक्षण कर्मचारियों को आर्थिक सहायता देने संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

उच्च न्यायालय ने गैर-शिक्षण कर्मचारियों को आर्थिक सहायता देने संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

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  • Publish Date - June 9, 2025 / 05:42 PM IST,
    Updated On - June 9, 2025 / 05:42 PM IST

कोलकाता, नौ जून (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा उन गैर-शिक्षण कर्मचारियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की योजना शुरू करने को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अपनी नौकरी खो दी थी।

न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें राज्य द्वारा ‘ग्रुप सी’ के कर्मचारियों को 25,000 रुपये और ‘ग्रुप डी’ के कर्मचारियों को 20,000 रुपये के भुगतान का विरोध किया गया था।

पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल में ‘ग्रुप सी’ और ‘ग्रुप डी’ श्रेणियों के उन गैर-शिक्षण कर्मचारियों के संकटग्रस्त परिवारों को अस्थायी तौर पर ‘‘मानवीय आधार पर सीमित आजीविका, सहायता और सामाजिक सुरक्षा’’ प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की थी, जिन्हें पश्चिम बंगाल एसएससी द्वारा आयोजित 2016 की चयन प्रक्रिया के माध्यम से भर्ती किया गया था।

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सहायता प्राप्त स्कूलों के लगभग 26,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद अपनी नौकरी खोनी पड़ी, जिसमें 2016 की चयन प्रक्रिया में अनियमितताएं पाई गई थीं।

वर्ष 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए प्रतीक्षा सूची में शामिल कुछ उम्मीदवारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास भट्टाचार्य ने पूछा कि राज्य को उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के फैसले को उलझाने के लिए कानून बनाने की शक्तियां कहां से मिलीं।

भट्टाचार्य ने यह दावा किया कि यह योजना नियुक्तियों को रद्द करने वाले शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 162, जो राज्य की कार्यपालिका शक्तियों की सीमा को वर्गीकृत करता है, संविधान के प्रावधानों के अधीन है, जिसके द्वारा विधायिका को कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 162 राज्य को उच्चतम न्यायालय के निर्णय को नाकाम करने के लिए कोई योजना बनाने का अधिकार नहीं देता है।

भट्टाचार्य ने इस आधार पर न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया तथा योजना पर रोक लगाने का अनुरोध किया।

जब न्यायालय ने पूछा कि क्या राज्य ने इस अधिसूचना को लागू किया है, तो पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि ऐसा किया गया है तथा एक किस्त पहले ही जारी की जा चुकी है।

न्यायमूर्ति सिन्हा ने मौखिक रूप से राज्य से कहा कि वह फिलहाल धनराशि वितरित न करे।

याचिका का विरोध करते हुए दत्ता ने कहा कि प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थी, जो याचिकाकर्ता हैं, इस योजना में कोई शिकायत नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए, क्योंकि उनका दावा है कि यह योजना उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करती है।

भाषा शफीक माधव

माधव