उच्च न्यायालय ने ईश निंदा करने वाली बैठक में शामिल होने को लेकर शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

उच्च न्यायालय ने ईश निंदा करने वाली बैठक में शामिल होने को लेकर शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

उच्च न्यायालय ने ईश निंदा करने वाली बैठक में शामिल होने को लेकर शिक्षक की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
Modified Date: February 11, 2025 / 12:34 am IST
Published Date: February 11, 2025 12:34 am IST

प्रयागराज, 10 फरवरी (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ईश निंदा करने वाली एक बैठक में शामिल होने के आरोपी अध्यापक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

बैठक में उपस्थित लोगों को हिंदू धार्मिक प्रतीकों का अनादर करने और मंदिरों पर जूते-चप्पल फेंक कर उन्हें अपवित्र करने के लिए उकसाया गया था।

भीष्म पाल सिंह नाम के व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

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याचिकाकर्ता के खिलाफ गोरखपुर के कैंट थाना में भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 (जानबूझकर किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक आस्था का अपमान कर उसकी भावना को ठेस पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

प्राथमिकी के मुताबिक, शिकायतकर्ता ने एक वायरल वीडियो देखा था, जिसमें एक महिला ने कथित तौर पर हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और बैठक में मौजूद लोगों को हिंदू धार्मिक प्रतीकों जैसे सिंदूर और बिछिया का अनादर करने के लिए उकसाया।

साथ ही महिला ने लोगों को जूता फेंककर मंदिरों को अपवित्र करने के लिए उकसाया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं और राजनीति से प्रेरित हैं क्योंकि अपमानजनक टिप्पणी में उसकी कोई संलिप्तता नहीं थी।

याचिकाकर्ता महज बैठक में मौजूद था और किसी गैर कानूनी गतिविधि में शामिल नहीं था।

अदालत ने सात फरवरी को दिए अपने आदेश में कहा कि अगली सुनवाई तक या पुलिस रिपोर्ट सौंपे जाने तक, जो भी पहले हो, याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, बशर्ते कि वह जांच में सहयोग करे।

भाषा राजेंद्र सिम्मी सुभाष

सुभाष


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