नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार की गई छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा खातून की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने मामले में यूएपीए के तहत गिरफ्तार सलीम खान और तस्लीम अहमद की जमानत याचिका भी खारिज कर दी।
तीनों ने इस आधार पर सांविधिक जमानत मांगी थी कि उनके खिलाफ 90 दिन की आवश्यक अवधि में आरोपत्र दायर नहीं किया गया और वर्तमान में मामले की सुनवाई कर रही अदालत को मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि मामले में जांच पूरी करने की अवधि 17 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी और आरोपपत्र 16 सितंबर को दायर किया गया तथा अगले दिन इसका संज्ञान लिया गया।
अदालत ने 19 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी में दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े मामलों में सुनवाई के लिए सत्र अदालत को अधिकृत किया था।
खातून, खान और अहमद की ओर से पेश वकील महमूद पारचा ने दलील दी कि 90 दिन की अवधि में कोई आरोपपत्र दायर नहीं किया गया और उनके मुवक्किलों को सांविधिक जमानत मिलनी चाहिए।
मामले में खातून अप्रैल से और अहमद तथा खान जून से न्यायिक हिरासत में हैं।
पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि याचिकाएं विचार योग्य नहीं हैं क्योंकि आरोपपत्र विस्तारित समय के भीतर दायर कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि संबंधित अदालत को उच्च न्यायालय ने यूएपीए मामले में सुनवाई के लिए अधिकृत कर दिया है।
भाषा
नेत्रपाल मनीषा
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