नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बृहस्पतिवार को कहा कि महानगर की सरकार वायु प्रदूषण के खिलाफ व्यापक स्तर पर पांच अक्टूबर से अभियान चलाएगी और नजफगढ़ में एक रसायन उत्पादन के लिए केंद्र बनाया जा रहा है जो पराली जलाने के मामले से निपटेगा।
राय ने कहा कि उन्होंने केंद्र और पड़ोसी राज्यों से आग्रह किया है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित रसायन का प्रयोग पराली प्रबंधन में करें।
उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर्यावरण, परिवहन, विकास, पीडब्ल्यूडी, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली जल बोर्ड, यातायात पुलिस और नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद वायु प्रदूषण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाएंगे।’’
एनसीआर राज्यों के प्रतिनिधियों की केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के साथ बैठक में राय ने केंद्र से आग्रह किया है कि राष्ट्रीय राजधानी में 11 ताप विद्युत संयंत्रों और करीब 1900 से अधिक ईंट भट्टों के उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए समयबद्ध कार्रवाई करे। ये इकाइयां पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं।
दिल्ली के आसपास हरियाणा, उत्तरप्रदेश और पंजाब में 11 संयंत्र हैं जिन्हें दिसम्बर 2019 तक अपनी इकाइयों में पुरानी तकनीक की जगह नयी तकनीक का इस्तेमाल करना था।
राय ने कहा कि इस तरह के 1640 से अधिक ईंट- भट्ठे उत्तरप्रदेश में, 161 हरियाणा में तथा 164 राजस्थान में हैं।
मंत्री ने कहा कि जावड़ेकर के साथ बैठक के दौरान दिल्ली सरकार ने पराली जलाने से निपटने के लिए अपनी योजना पेश की।
उन्होंने कहा कि नजफगढ़ के खड़खड़ी गांव में एक केंद्र बनाया जा रहा है जहां मंगलवार से करीब 400 कंटेनर में ‘‘जैव अपघटक’’ रसायन बनाया जाएगा।
उन्होंने केंद्र और राज्यों से अपील की कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिकों की तरफ से विकसित नयी प्रौद्योगिकी को लागू करें।
राय ने कहा कि केंद्र कृषि उपकरणों पर 80 फीसदी तक सब्सिडी दे रहा है लेकिन किसानों को अब भी अपनी जेब से भुगतान करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘पुसा जैव अपघटक सस्ता विकल्प है। हमारा अनुमान है कि दिल्ली में 800 हेक्टेयर कृषि भूमि में पराली प्रबंधन के लिए केवल 20 लाख रुपये की जरूरत है।’’
मंत्री ने कहा कि महानगर में पराली जलाने से रोकने के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
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नीरज माधव
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