नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन ने सोमवार को उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन से मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर सदन में तत्काल चर्चा शुरू कराने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि सभापति के रूप में राधाकृष्णन ‘राज्यों की परिषद’ के संरक्षक हैं और राज्यों की आवाज़ को सुनना उनका दायित्व है।
सभापति के तौर पर उच्च सदन में राधाकृष्णन के कामकाज का पहला दिन होने पर ओ’ब्रायन ने उन्हें और उनके परिवार को अच्छे स्वास्थ्य की शुभकामनाएं दीं और कहा कि “संघवाद को स्वस्थ रखना” भी उनकी जिम्मेदारी है।
उन्होंने दिल्ली के प्रदूषण का संदर्भ देते हुए कहा, “आप कोयंबटूर से ऐसी जगह आए हैं जहां हवा कभी-कभी समस्या हो सकती है, इसलिए आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”
तृणमूल सदस्य ने कहा कि राज्यसभा को अक्सर ‘वरिष्ठों का सदन’ कहा जाता है, जहां देश के अलग-अलग राज्यों से प्रतिनिधि अपनी चिंताएं लेकर आते हैं। ओ’ब्रायन ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि सभापति सदन में राज्यों से जुड़े मुद्दों पर सदस्यों को अपनी बात रखने में मदद करेंगे। इसी क्रम में उन्होंने पश्चिम बंगाल के कथित लंबित मनरेगा कोष का मुद्दा भी उठाया।
उन्होंने संसद से जुड़े ‘महत्वपूर्ण पैमानों’ का जिक्र करते हुए कहा कि संसद की औसत बैठक संख्या कम होती जा रही है और मौजूदा सत्र में केवल 15 बैठकें तय हैं। उन्होंने बताया कि 2009 से 2016 के बीच 110 चर्चाएं हुईं, लेकिन पिछले आठ वर्षों में केवल 36 चर्चाएं ही हुईं।
उन्होंने कहा कि संसदीय समितियों को भेजे जाने वाले विधेयकों की संख्या भी कम हुई है, जो संसदीय लोकतंत्र के लिए ठीक संकेत नहीं है। ओ’ब्रायन के अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाए रखने के लिए चुनावी प्रक्रिया का स्वस्थ और पारदर्शी होना जरूरी है।
उन्होंने मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर जारी विवाद के संदर्भ में कहा, “एक स्वस्थ, पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया में अमानवीयता, अनियोजित कार्य और मौत नहीं होनी चाहिए। संसद चलना आवश्यक है। सरकार संसद के प्रति और संसद जनता के प्रति जवाबदेह है। यदि संसद नहीं चलेगी तो सरकार जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रहेगी।”
उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा के लिए “कल या अगले सत्र” तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, “आज ही इस पर चर्चा शुरू करें और चुनावी प्रक्रिया को स्वस्थ और मजबूत बनाएं।”
पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में 21 जुलाई, 2025 को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद सितंबर में उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और राधाकृष्णन इस पद पर निर्वाचित हुए। वह देश 15वें उप राष्ट्रपति हैं। उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। उच्च सदन के सभापति के तौर पर शीतकालीन सत्र राधाकृष्णन का पहला सत्र है।
भाषा मनीषा वैभव
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