‘ऐसे मुकदमे दायर कर न्यायपालिका को नीचा न दिखाएं’ : उच्चतम न्यायालय

‘ऐसे मुकदमे दायर कर न्यायपालिका को नीचा न दिखाएं’ : उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - December 12, 2025 / 02:55 PM IST,
    Updated On - December 12, 2025 / 02:55 PM IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अल्पसंख्यक विद्यालयों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत छूट देने के अपने पूर्व के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर नाराजगी व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि इस तरह के मुकदमे दायर करके न्यायपालिका को नीचा न दिखाएं।

याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि यह दूसरों के लिए एक संदेश होना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘आप उच्चतम न्यायालय के साथ ऐसा नहीं कर सकते। हम बेहद आक्रोशित हैं। अगर आप इस तरह के मुकदमे दायर करना शुरू करते हैं, तो यह देश की पूरी न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ होगा। आपको अपने मामले की गंभीरता का अंदाजा नहीं है। हम केवल एक लाख रुपये का जुर्माना लगा रहे हैं।’’

याचिका दायर करने के लिए वकील को फटकार लगाते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह के मामले दायर करके देश की न्यायपालिका को बदनाम मत कीजिए। यहां क्या हो रहा है? क्या वकील इस तरह की सलाह दे रहे हैं? हमें वकीलों को दंडित करना होगा।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘आप कानून के जानकार लोग और पेशेवर हैं और आप अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर करते हैं? घोर दुरुपयोग। हम संयम बरत रहे हैं। हम अवमानना ​​का आदेश जारी नहीं कर रहे हैं। आप इस देश की न्यायपालिका को ध्वस्त करना चाहते हैं।’’

उच्चतम न्यायालय गैर-सरकारी संगठन ‘यूनाइटेड वॉइस फॉर एजुकेशन फोरम’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को दी गई छूट असंवैधानिक है क्योंकि यह उन्हें शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के दायित्वों से पूर्ण रूप से छूट प्रदान करती है।

न्यायालय ने 2014 में दिए फैसले में कहा था कि आरटीई अधिनियम अनुच्छेद 30(1) के तहत अल्पसंख्यक विद्यालयों पर लागू नहीं होता है, जो धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और शासन का अधिकार प्रदान करता है।

भाषा गोला सुरभि आशीष

आशीष