डोभाल ने सेंट पीटर्सबर्ग में पुतिन से मुलाकात की

डोभाल ने सेंट पीटर्सबर्ग में पुतिन से मुलाकात की

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  • Publish Date - September 12, 2024 / 08:15 PM IST,
    Updated On - September 12, 2024 / 08:15 PM IST

नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) यूक्रेन विवाद का समाधान खोजने के लिए नए सिरे से किए जा रहे प्रयासों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बृहस्पतिवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की।

यह मुलाकात सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सम्मेलन के दौरान हुई।

बातचीत में पुतिन ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले महीने वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के कजान की यात्रा करेंगे।

रूस के राष्ट्रपति ने द्विपक्षीय साझेदारी का विश्लेषण करने और ‘भविष्योन्मुखी’ कार्यों पर चर्चा करने के लिए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान 22 अक्टूबर को मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक का भी प्रस्ताव रखा।

रूसी मीडिया ने डोभाल के साथ बैठक में पुतिन के बयानों के हवाले से कहा, ‘‘हम अपने अच्छे दोस्त मोदी का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें शुभकामनाएं।’’

एनएसए ने बुधवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु के साथ व्यापक बातचीत की और ‘परस्पर हितों’ के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

समझा जाता है कि 23 अगस्त को कीव में मोदी की यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ हुई बातचीत का मुद्दा भी दोनों एनएसए के बीच बातचीत में आया।

रूस में भारतीय दूतावास ने डोभाल और शोइगु के बीच बातचीत पर कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की समीक्षा की और आपसी हितों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।’’

डोभाल की रूस यात्रा मोदी द्वारा यूक्रेन की राजधानी कीव की उच्चस्तरीय यात्रा करने के ढाई सप्ताह बाद हुई है। जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत में मोदी ने कहा था कि यूक्रेन और रूस दोनों को युद्ध को समाप्त करने के लिए बिना समय बर्बाद किए एक साथ बैठना चाहिए और भारत इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए ‘सक्रिय भूमिका’ निभाने के लिए तैयार है।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत संघर्ष की शुरुआत से ही शांति के पक्ष में रहा है और वह संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यक्तिगत रूप से भी योगदान देना चाहेंगे।

मोदी की यूक्रेन की लगभग नौ घंटे की यात्रा, 1991 में उस देश की स्वतंत्रता के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। यह मास्को में पुतिन के साथ उनकी शिखर वार्ता के छह सप्ताह बाद हुई।

पिछले कुछ दिन में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में भारत की संभावित भूमिका को लेकर मांग उठी है क्योंकि नई दिल्ली के दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं।

शनिवार को इतालवी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने जेलेंस्की के साथ अपनी बातचीत के बाद कहा कि भारत और चीन इस लंबे होते संघर्ष का समाधान खोजने में भूमिका निभा सकते हैं।

पिछले बृहस्पतिवार को रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच में एक परिचर्चा में पुतिन ने भारत, ब्राजील और चीन का नाम उन संभावित मध्यस्थों के रूप में लिया, जो संघर्ष को हल करने में भूमिका निभा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सबसे पहले तो ये चीन, ब्राजील और भारत हैं। मैं अपने सहयोगियों के संपर्क में हूं और मुझे कोई संदेह नहीं है कि हमारे बीच एक दूसरे के साथ विश्वास और भरोसे के जो संबंध हैं, उसे देखते हुए इन देशों के नेता वास्तव में रुचि लेंगे और मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे।’’

भारत यह कहता रहा है कि यूक्रेन में संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।

भाषा वैभव पवनेश

पवनेश