महाराष्ट्र के एक’नाथ’: कभी ऑटो रिक्शा चलाते थे एकनाथ शिंदे, जानिए ड्राइवर से लेकर CM तक का सफर

Eknath Shinde Political Journey : एकनाथ शिंदे अब महाराष्ट्र के सीएम बन जाएंगे। इसी के साथ महाराष्ट्र में चल रहा सियासी संकट खत्म हो जाएगा।

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  • Publish Date - June 30, 2022 / 05:18 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:44 PM IST

Eknath Shinde Political Journey : एकनाथ शिंदे अब महाराष्ट्र के सीएम बन जाएंगे। इसी के साथ महाराष्ट्र में चल रहा सियासी संकट खत्म हो जाएगा। एकनाथ शिंदे ने ठाकरे सरकार से बगावत करके बागी विधायकों का गुट बनाया और आज महाराष्ट्र की सत्ता में डिप्टी सीएम पद की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। कुछ दिन पहले तक किसी ने नहीं सोचा था कि बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना में इस तरह की बगावत होगी। बगावत पहले भी हुईं, लेकिन किसी ने अपना अलग दल बनाया तो कोई दूसरी पार्टी में जा मिला। शिंदे ने पूरी शिवसेना को ही हाईजैक कर लिया। जानिए महाराष्ट्र की सियासत का ट्रंप कार्ड बने शिंदे के जीवन और उनकी सियासत का सफर कैसा रहा।

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शिंदे में लीडरशिप के गुण उनकी यूएसपी है। उन्होंने सड़क से सत्ता तक का संघर्ष देखा है। लीडरशिप के इन्हीं गुणों के कारण बागी विधायकों को पूरा विश्वास हो चला था कि शिंदे ने उद्धव सरकार से हाथ खींचा है तो वे अपने उदृेश्य में जरूर सफल होंगे। यही कारण रहा कि एक एक करके कई विधायक सूरत के रास्ते गुवाहाटी पहुंच गए थे। शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं, ऐसे में शिंदे का कद कितना बढ़ता है, महाराष्ट्र की सियासत में उनकी जमीन कितनी ताकतवर होती है, यह आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन आज शिंदे ही महाराष्ट्र की सियासत के अहम किरदार हैं और यह सच बीजेपी भी अच्छी तरह से जानती है।

शिंदे आज 58 साल के हैं और उन्होंने अपना स्कूली जीवन ठाणे से शुरू किया। यहां वे शुरू में ऑटो रिक्शा चलाते थे। उसी दौरान उनकी भेंट शिवसेना नेता आनंद दिघे से हुई, यह मुलाकात टर्निंग पॉइंट साबित हुई। महज 18 साल की उम्र में शिंदे का राजनीतिक जीवन शुरू हो गया। जब वह 2019 में चुनाव हुए थे, तब एक चर्चा यह चली थी कि एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया जाए। क्योंकि जैसे की परंपरा थी बाला साहेब मातोश्री से ही सत्ता और संगठन को देखा करते थे, उद्धव भी उसी राह पर चलेंगे। हालांकि 2019 के चुनाव के बाद आदित्य ठाकरे ने शिवसेना विधायक दल की बैठक में शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा था, वे चुन भी लिए गए। लेकिन उद्धव के रूप में पहली बार कोई ठाकरे परिवार का सदस्य मातोश्री से बाहर निकलकर सीएम पद यानी सत्ता के पद पर आसीन हुआ। शिंदे उद्धव सरकार में शहरी विकास मंत्री बने।

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1997 में पहली चुनाव जीता और पार्षद बने

सीएम बनने वाले एकनाथ शिंदे ने 1997 में पहली बार ठाणे नगर निगम का चुनाव लड़ा और पार्षद बन गए। फिर 2001 में वह नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता बने। जब वह पार्षद थे, तब एक एक्सिडेंट में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे और सात साल की बेटी को खो दिया। उनके दूसरे बेटे श्रीकांत उस वक्त 13 साल के थे। श्रीकांत आज शिवसेना के सांसद हैं। शिवसेना के दूसरे सांसद इन दिनों चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच में काफी मान मनौव्वल कर रहे थे।

एकनाथ शिंदे ने अपनी राजनीतिक पकड़ और दूरदर्शिता से धीरे धीरे शिवसेना में पकड़ बनाना शुरू कर दी। जब 2005 में नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ी तो शिंदे के लिए पार्टी में अपना कद बढ़ाना शुरू कर दिया। इसके लिए उन्हें काफी अच्छे अवसर भी मिले और पूरी निष्ठा के साथ उन्होंने आगे बढ़ना शुरू कर दिया। फिर जब बाला साहेब के लिए बेटे उद्धव ठाकरे और भतीजे राज ठाकरे के बीच वर्चस्व की लड़ाई में मुसीबतें आने लगीं, तब ठाकरे परिवार से एकनाथ शिंदे की करीबियां बढ़ने लगी।

2004 में ठाणे से विधानसभा चुनाव लड़ने का टिकट मिला

इसी बीच शिवसेना की ओर से उन्हें 2004 में ठाणे से विधानसभा चुनाव लड़ने का टिकट मिल गया। यह टिकट केवल चुनावी नहीं था, बल्कि यह टिकट उनके राजनीतिक सफर को सफल बनाने का था। उन्होंने 2004 में ठाणे से चुनावी जीत दर्ज की। फिर 2009 में भी चुनाव जीते। जीत की यही कहानी 2014 और 2019 में भी उन्होंने लिखी। वह देवेंद्र फडणवीस की सरकार में राज्य के लोक निर्माण मंत्री भी रह चुके हैं। जब किसी राजनेता का कद बढ़ता है तो आपराधिक मामले भी पीछा नहीं छोड़ते। एकनाथ शिंदे पर 18 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनके पास 11 करोड़ 56 लाख से ज्यादा की संपत्ति है। इसमें 2.10 करोड़ की चल और 9.45 करोड़ की अचल संपत्ति घोषित की गई थी।