नौकरीपेशा पत्‍नी का कमाऊ गाय की तरह इस्‍तेमाल करने की इजाजत नहीं, हाईकोर्ट ने तलाक को दी मंजूरी

नौकरीपेशा पत्‍नी का कमाऊ गाय की तरह इस्‍तेमाल करने की इजाजत नहीं, हाईकोर्ट ने तलाक को दी मंजूरी

नौकरीपेशा पत्‍नी का कमाऊ गाय की तरह इस्‍तेमाल करने की इजाजत नहीं, हाईकोर्ट ने तलाक को दी मंजूरी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:17 pm IST
Published Date: November 7, 2021 1:52 pm IST

नई दिल्‍ली। दिल्‍ली उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सख्‍त टिप्‍पणी करते हुए कहा है कि किसी भी शख्‍स को नौकरीपेशा पत्‍नी को बिना किसी भावनात्‍मक संबंधों के एक कमाऊ गाय के रूप में इस्‍तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने इस दौरान महिला की अपील को स्‍वीकारा और उसके पति के व्‍यवहार को क्रूर पाया। इसके आधार पर दोनों के तलाक को मंजूरी दे दी है।

read more: छत्तीसगढ़: ​पुलिस​ विभाग में बंपर तबादले, अलग-अलग थानों में पदस्थ पुलिसकर्मियों की सूची जारी..देखें
महिला की ओर से दिल्‍ली हाईकोर्ट में फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें फैमिली कोर्ट ने इसे क्रूरता का कारण मानने से इनकार कर दिया था, साथ ही तलाक को भी मंजूरी नहीं दी थी। दोनों की शादी साल 2000 में हुई थी, उस समय पत्‍नी नाबालिग थी, उसकी उम्र 13 साल थी, और पति की उम्र 19 साल थी, इस केस की सुनवाई जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ में हुई।

read more: T20 WC: एक मैच पर 3 टीमों की किस्मत लगी दांव पर, AFG Vs NZ के नतीजे से क्या होगा? यहां देखें
2005 में बालिग होने के बाद पत्‍नी नवंबर 2014 तक अपने पैतृक घर पर ही रही, उसी समय उसने अपनी पढ़ाई पूरी की, बाद में योग्‍यता के आधार पर दिल्‍ली पुलिस में नौकरी पाई।महिला ने कोर्ट में कहा कि पहले उसके परिवार ने उसके पति से उसे घर ले जाने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माना। जब उसकी नौकरी लगी तो पति तुरंत उसे अपने साथ ले जाने को राजी हो गया। प‍त्‍नी ने कहा कि इसके पीछे का कारण उसकी हर महीने आने वाली सैलरी थी।

 ⁠

read more: भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में ऑनलाइन शामिल हुए उत्तर प्रदेश के नेता
हाईकोर्ट ने इसके बाद टिप्‍पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पति ने अपीलकर्ता को एक कमाऊ गाय के रूप में देखा, कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बेशर्मी वाले भौतिकतावादी रवैये और बिना भावनात्‍मक संबंधों से अपीलकर्ता को मानसिक पीड़ा हुई होगी, ऐसे में इस तरह की चोट उसके साथ क्रूरता तय करने के लिए पर्याप्‍त है, कोर्ट ने कहा कि पति के खिलाफ स्‍थापित मानसिक क्रूरता के अपराध का एक केस बनता है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com