नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश (सरकार) को कुंभ मेले से पहले प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में कम से कम अपशिष्ट प्रवाह निश्चित करने के लिए ‘प्रभावी एवं त्वरित कदम’ उठाने तथा समयबद्ध कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
उसने संबंधित प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि नदियों की जल गुणवत्ता पेयजल गुणवत्ता स्तर पर बनाकर रखी जाए तथा नहाने के घाटों पर तीर्थयात्रियों के लिए उनकी उपयुक्तता प्रदर्शित की जाए।
अधिकरण दोनों नदियों में अपशिष्ट प्रवाहित के दावों के बीच प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान स्वच्छ पानी की उपलब्धता के मामले की सुनवाई कर रहा था।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि एक पिछली समिति ने गंगा और यमुना में सीधे मिलने वाले नालों (ऐसे नाले जिन्हें अपशिष्ट शोधन संयंत्रों से नहीं जोड़ा गया है), अपशिष्ट शोधन संयंत्रों (एसटीपी) और उनकी उपयोग क्षमता, सीवेज नेटवर्क और शोधन में अंतर के बारे में एक रिपोर्ट दाखिल की थी।
न्यायमूर्ति श्रीवास्तव और न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति ए के त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा, ‘‘ उपरोक्त रिपोर्ट पर गौर करने पर स्पष्ट पता चलता है कि 44 नाले हैं जो गंगा नदी में अशोधित अपशिष्ट जल छोड़ते हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि शहर में 81 नाले हैं और ये नाले प्रतिदिन 289.97 मिलियन लीटर (एमएलडी) अपशिष्ट (नदियों में) छोड़ते हैं तथा मौजूदा 10 एसटीपी में सीवरेज नेटवर्क के माध्यम से आने वाला अपशिष्ट 178.31 एमएलडी है।’’
एक जुलाई को पारित आदेश में पीठ ने यह भी कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक नदी में सीधे गिरने वाले नाले 73.80 एमएलडी अपशिष्ट (नदियों में) छोड़ रहे हैं तथा शोधन क्षमता में 128.28 एमएलडी का फर्क है।
असंतोष व्यक्त करते हुए अधिकरण ने कहा, ‘‘ इस रिपोर्ट से यह परिलक्षित नहीं होता है कि आगामी कुंभ मेले के दौरान इन 44 सीधे गिरने वाले नालों से 73.80 एमएलडी अशोधित अपशिष्ट को गंगा नदी में बहने से रोकने के लिए कोई प्रभावी कार्य किया जाएगा।’’
एनजीटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के वकील के वकील का कहना है कि इन 44 नालों को नवंबर तक मौजूदा एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा।
अधिकरण ने कहा, ‘‘ इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कुंभ मेले के श्रद्धालु या आंगुतक गंगा और यमुना नदियों में स्नान करेंगे और पीने एवं अन्य कामों के लिए उसके पानी का उपयोग करेंगे, हमारा मत है कि कुंभ मेला शुरू होने से पहले सभी प्रभावी एवं त्वरित कदम उठाने की जरूरत है और कार्ययोजना तैयार करने की जरूरत है ताकि कम से कम अपशिष्ट को गंगा एवं यमुना नदियों में प्रवाहित किया जाए या उसका प्रवाह रोका जाए।’’
अधिकरण ने उत्तर प्रदेश को इस पर प्रगति रिपोर्ट के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।
भाषा राजकुमार माधव
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