विशाखापत्तनम, 21 दिसंबर (भाषा) भारतीय नौसेना सामूहिक समुद्री सुरक्षा और नौसैनिक सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से 15 से 25 फरवरी, 2026 तक विशाखापत्तनम में ‘इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू’ (आईएफआर) की मेजबानी करेगी। नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास और हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी के तहत नौसेना प्रमुखों का सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा।
कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन एस वेंकटेश कुमार ने कहा कि आईएफआर-2026 महज एक औपचारिक आयोजन नहीं है, बल्कि अंतर संचालनीयता बढ़ाने और समुद्री सुरक्षा के लिए उभरते खतरों से निपटने के लिए एक व्यावहारिक मंच है।
कमांडिंग ऑफिसर कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘किसी भी देश की नौसेना अकेले समुद्रों की सुरक्षा नहीं कर सकती। फरवरी में आयोजित होने वाला आईएफआर-2026 सामूहिक प्रतिक्रियाओं, साझा प्रक्रियाओं और समन्वित नौसैनिक कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाता है।’’
उन्होंने कहा कि इन आयोजनों से सामूहिक समुद्री सुरक्षा और नौसैनिक सहयोग को मजबूती मिलेगी।
आईएफआर का आयोजन विशाखापत्तनम में दूसरी बार किया जाएगा। इससे पहले इसका आयोजन 2016 में हुआ था।
इस समुद्री सम्मेलन में 100 से अधिक देश अपने जहाजों, पनडुब्बियों, विमानों और प्रतिनिधिमंडलों के साथ भाग लेंगे, जो वैश्विक नौसैनिक शक्ति, सहयोग और भारत के विस्तारित समुद्री दृष्टिकोण को प्रदर्शित करेगा।
कमांडिंग ऑफिसर ने कहा कि वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति और खाद्य सुरक्षा समुद्री मार्गों पर काफी हद तक निर्भर करती है, जबकि साइबर हमले, हाइब्रिड युद्ध और जलवायु संबंधी चुनौतियों जैसे खतरों ने समुद्र में जोखिम बढ़ा दिए हैं।
कैप्टन के अनुसार अंतरसंचालनीयता एक प्रमुख फोकस क्षेत्र होगा, जो उपकरणों से परे जाकर सिद्धांत, संचार, कानूनी ढांचे और खुफिया जानकारी साझा करने के तंत्र को भी शामिल करेगा।
कुमार ने बताया कि ड्रोन, स्वायत्त प्लेटफॉर्म और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से लैस समुद्री डोमेन जागरूकता प्रणालियों जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा, साथ ही उन्होंने सामान्य मानकों और शासन के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि आईएफआर-2026 में बंदरगाह प्राधिकरणों, शिपिंग कंपनियों और मानवीय एजेंसियों सहित गैर-सरकारी हितधारकों को भी शामिल किया जाएगा, जो समुद्री सुरक्षा और संकट प्रतिक्रिया में उनकी भूमिका को मान्यता देता है।
कैप्टन कुमार ने कहा कि नौवहन की स्वतंत्रता, अवरोधन और बल प्रयोग को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचों पर भी चर्चा की जाएगी, जिसका उद्देश्य भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच परिचालन संबंधी व्याख्याओं में सामंजस्य स्थापित करना है।
छोटे नौसेना बलों और तटरक्षक बलों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कुमार ने कहा कि क्षेत्रीय समुद्री लचीलेपन के लिए क्षमता निर्माण की पहल, साझा रसद और प्रशिक्षण सहयोग आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान प्रमुख घटक होंगे, जो आपात स्थितियों के दौरान नागरिकों के जीवन तथा आजीविका की रक्षा करने में नौसेना की भूमिका को दर्शाते हैं।
कुमार के अनुसार, नौसेनाओं के बीच सतत सहयोग स्पष्ट नियमों, साझा अपेक्षाओं और स्थापित संवाद तंत्रों पर निर्भर करता है ताकि सामूहिक समुद्री पहलों की स्थिरता और दीर्घकालिक प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने कहा कि यह आयोजन समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत के बढ़ते दृष्टिकोण तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोगात्मक सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करेगा।
भाषा रवि कांत दिलीप
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