नोएडा (उप्र) 11 अक्टूबर (भाषा)। आबादी की समस्या का निस्तारण, विकसित भूखंड सहित विभिन्न मांगों को लेकर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ 41 दिनों से चल रहा 81 गांवों के किसानों का आंदोलन सोमवार को उग्र हो गया उन्होंने प्राधिकरण ऑफिस पहुंचकर जमकर हंगामा किया।
हरौला बारात घर में धरने पर बैठे हजारो किसान सोमवार को प्राधिकरण कार्यालय पहुंच गये । जब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया उन्होंने एक गेट और एक स्थान की बैरिकेडिंग तोड़ दी।
आरोप है कि हंगामे के दौरान किसानों ने पुलिस अधिकारियों व कई पुलिस वालों की वर्दी फाड़ दी। इसके बाद पुलिस को हालात को काबू करने के लिए लाठीचार्ज और हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। किसान यहां पर एक सितंबर से धरना दे रहे हैं। इस धरना का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है, कि नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय की तरफ कूच करते समय पुलिस प्रशासन ने किसानों को रोकने का प्रयास किया तथा किसानों के ऊपर लाठीचार्ज किया। उनका कहना है कि इस घटना में किसान परिवार के कई महिला, पुरुषों को चोट आई है। उनका उपचार जिला अस्पताल में चल रहा है।
खलीफा ने पुलिस के इस व्यवहार पर कहा कि अब पुलिस विभाग भी नोएडा प्राधिकरण की भाषा बोल रहा है तथा वह बदसलूकी करने पर उतारू हो गया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय किसान परिषद अब रोजाना नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय तक कुछ करेंगी। उन्होंने कहा कि इस धरने में 15 हजार से ज्यादा लोग शामिल है। उनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी पुलिस व जिला प्रशासन की है।
उन्होंने कहा कि हम लोग अनुशासन के दायरे में रहकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे, तथा अपना हक लेकर ही धरना खत्म करेंगे।
नोएडा पुलिस के प्रवक्ता का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसानों की आड़ में कुछ अराजक तत्वों ने पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट की। उन्होंने कहा कि एडीसीपी रणविजय सिंह समेत कई पुलिसकर्मियों की वर्दी फाड़ी गई एवं उनके साथ अभद्रता किया गया। एडीसीपी रणविजय ने कहा है कि सभी अराजक तत्वों की पहचान की कोशिश की जा रही है और सभी के खिलाफ केस दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, किसानों के धरने को देखते हुए आज सुबह से ही नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के सामने भारी पुलिस बल तैनात था। प्रदर्शनकारी हर हाल में प्राधिकरण ऑफिस पहुंचना चाहते थे। पुलिस ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो किसान भड़क गए।
किसानों की प्रुमख मांगे हैं कि आबादी का निस्तारण किया जाए, उनकी अधिग्रहीत जमीन में पांच फीसद प्रतिशत विकसित भूखंड उन्हें दी जाए , बढ़े हुए मुआवजे की दर से उन्हें मुआवजा दिया जाए।
भाषा सं प्रशांत राजकुमार
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