केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा प्रतिष्ठित यूरोपीय पुरस्कार से सम्मानित

केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा प्रतिष्ठित यूरोपीय पुरस्कार से सम्मानित

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  • Publish Date - June 20, 2021 / 10:18 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:00 PM IST

तिरुवनंतपुरम, 20 जून (भाषा) केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए प्रतिष्ठित ‘सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी (सीईयू) ओपन सोसाइटी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

ओपन सोसाइटी पुरस्कार हर साल असाधारण विशिष्ट व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार की घोषणा हाल में ऑनलाइन आयोजित 30वें स्नातक समारोह के दौरान की गई थी।

सीईयू के अध्यक्ष माइकल इग्नाटीफ ने ‘शैलजा टीचर’ को पुरस्कार के लिए चुने जाने की घोषणा की और कहा कि इस वर्ष यह पुरस्कार विकासशील दुनिया की ‘‘असाधारण लोक सेवक’’ को दिया गया है।

इग्नाटीफ ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय राज्य केरल में सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की समर्पित कर्मी के रूप में केके शैलजा टीचर ने दुनिया को दिखाया कि दृढ़ नेतृत्व, समुदाय-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्रभावी संचार से जान बचाई जा सकती है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘शैलाजा टीचर का उदाहरण युवा महिलाओं को प्रेरित करेगा’’ कि वे सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में प्रवेश करें और महामारी से निपटने में केरल का रिकॉर्ड विकासशील दुनिया के देशों को आशा प्रदान करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय शैलजा टीचर को सीईयू का सर्वोच्च पुरस्कार देकर, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता के लिए एक लोक सेवक और महिला नेता का सम्मान करता है।’’

कम्युनिस्ट नेता शैलजा को टीचर कह कर संबोधित करते हैं। शैलजा ने स्नातक छात्रों से कहा कि सीखना एक सतत प्रक्रिया है और उन्हें जिज्ञासु बने रहना चाहिए।

उन्होंने अपने भाषण में छात्रों से कहा, ‘‘… सीखना जारी रखें और दूसरों के साथ अपना ज्ञान साझा करें। हम तेजी से बदल रही और अप्रत्याशित दुनिया में रहते हैं, जहां नेताओं को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए आगे आना चाहिए और समाज के निर्माण के लिए मिलकर नए रचनात्मक समाधान निकालने चाहिए। जैसे ही आप दुनिया में बाहर कदम रखते हैं, तो आप में से प्रत्येक के पास दुनिया को बदलने और इतिहास लिखने का अवसर होता है। अपने भीतर के उस नेता को खोजें।’’

भाषा सिम्मी दिलीप

दिलीप